Breadcrumb Abstract Shape
Breadcrumb Abstract Shape
Breadcrumb Abstract Shape

लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग

लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग

कंप्यूटर

 

लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग

Computer एक ऐसा Electronic Device है जो User द्वारा Input किये गए Data में प्रक्रिया करके सूचनाओ को Result के रूप में प्रदान करता हैं, अर्थात् Computer एक Electronic Machine है जो User द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करती हैं| इसमें डेटा को स्टोर, पुनर्प्राप्त और प्रोसेस करने की क्षमता होती है।आप दस्तावेजों को टाइप करने, ईमेल भेजने, गेम खेलने और वेब ब्राउज़ करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग कर सकते हैं।आप स्प्रैडशीट्स, प्रस्तुतियों और यहां तक ​​कि वीडियो बनाने के लिए इसका उपयोग भी कर सकते हैं।

कंप्यूटर User द्वारा Input किये गए डाटा को Process करके परिणाम को Output के रूप में प्रदान करता हैं ”

“The Data Input Process by Computer User by Output results are provided as “

Computer शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के “COMPUTE” शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है “गणना करना” | अत: यह स्पष्ट होता है की Computer का सीधा संबंध गणना करने वाले यंत्र से है वर्तमान में इसका क्षेत्र केवल गणना करने तक सीमित न रहकर अत्यंत व्यापक हो चुका हैं| कम्प्यूटर अपनी उच्च संग्रह क्षमता (High Storage Capacity), गति (Speed), स्वचालन (Automation), क्षमता (Capacity), शुद्धता (Accuracy), सार्वभोमिकता (Versatility), विश्वसनीयता (Reliability), याद रखने की शक्ति के कारण हमारे जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता जा रहा है| Computer द्वारा अधिक सूक्ष्म समय में अधिक तीव्र गति से गणनाएं की जा सकती है कम्प्यूटर द्वारा दिये गये परिणाम अधिक शुद्ध होते है|

आजकल विश्व के हर क्षेत्र में Computer का प्रयोग हो रहा हैं जैसे – अंतरिक्ष, फिल्म निर्माण, यातायात, उद्योग व्यापर, रेलवे स्टेशन, स्कूल, कॉलेज, एरपोर्ट, आदि| Computer द्वारा जहाँ एक तरफ वायुयान, रेल्वे तथा होटलों में सीटों का आरक्षण होता है वही दूसरी तरफ बैंको में Computer की वजह से कामकाज सटीकता तथा तेजी से हो रहा हैं|

Hardware vs. Software

विभिन्न प्रकार के कंप्यूटरों के बारे में बात करने से पहले हम दो चीजों के बारे में जान लेते हैं जो सभी कंप्यूटरों में आम हैं: हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर।

Hardware

हार्डवेयर आपके कंप्यूटर का कोई भी हिस्सा होता है जिसमें भौतिक संरचना शामिल है, जैसे कीबोर्ड या माउस।इसमें कंप्यूटर के सभी आंतरिक भाग भी शामिल हैं, जिन्हें आप नीचे दी गई छवि में देख सकते हैं।

Software

सॉफ्टवेयर निर्देशों का कोई भी सेट होता है जो हार्डवेयर को बताता है कि क्या करना है और इसे कैसे करना है।सॉफ्टवेयर के उदाहरणों में वेब ब्राउज़र, गेम्स और वर्ड प्रोसेसर आदि शामिल हैं।आपके कंप्यूटर पर जो कुछ भी आप करते हैं वह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों के द्वारा किया जाता हैं| उदाहरण के लिए, अभी आप इस टेक्स्ट को वेब ब्राउज़र (सॉफ़्टवेयर) में देख रहे हैं यह एक सॉफ्टवेयर हैं और पेज पर क्लिक करने के लिए अपने माउस (हार्डवेयर) का उपयोग कर रहे हैं तो माउस एक हार्डवेयर हैं|

विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर (different types of Computers)

जब अधिकांश लोग कंप्यूटर शब्द सुनते हैं, तो वे डेस्कटॉप या लैपटॉप जैसे व्यक्तिगत कंप्यूटर के बारे में सोचते हैं।हालांकि, कंप्यूटर कई आकारों में आते हैं, और वे हमारे दैनिक जीवन में कई अलग-अलग कार्य करते हैं।जब आप एटीएम से नकदी वापस लेते हैं, स्टोर में किराने का सामान स्कैन करते हैं, या कैलकुलेटर का उपयोग करते हैं, तो इसका मतलब हैं की आप एक प्रकार का कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहे हैं।

Desktop computers

कई लोग काम, घर और स्कूल में डेस्कटॉप कंप्यूटर का उपयोग करते हैं।डेस्कटॉप कंप्यूटर को डेस्क पर रखा जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और वे आमतौर पर कंप्यूटर केस, मॉनीटर, कीबोर्ड और माउस सहित कुछ अलग-अलग हिस्सों से बने होते हैं।

Laptop computers

दूसरे प्रकार के कंप्यूटर से आप परिचित हैं एक लैपटॉप कंप्यूटर, जिसे आमतौर पर लैपटॉप कहा जाता है।लैपटॉप बैटरी संचालित कंप्यूटर हैं जो डेस्कटॉप से ​​अधिक पोर्टेबल हैं, जिससे आप उन्हें लगभग कहीं भी उपयोग कर सकते हैं।

Tablet computers

टैबलेट कंप्यूटर-या टैबलेट-हैंडहेल्ड कंप्यूटर हैं जो लैपटॉप से ​​भी अधिक पोर्टेबल हैं।कीबोर्ड और माउस के बजाए, टैबलेट टाइपिंग और नेविगेशन के लिए टच-संवेदनशील स्क्रीन का उपयोग करते हैं।आईपैड टैबलेट का एक उदाहरण है।

Server computer

एक सर्वर एक कंप्यूटर है जो नेटवर्क पर अन्य कंप्यूटरों को जानकारी प्रदान करता है।उदाहरण के लिए, जब भी आप इंटरनेट का उपयोग करते हैं, तो आप किसी ऐसे सर्वर को देख रहे हैं जो सर्वर पर संग्रहीत है।कई व्यवसाय आंतरिक रूप से फ़ाइलों को स्टोर और शेयर करने के लिए स्थानीय फ़ाइल सर्वर का भी उपयोग करते हैं।

अन्य प्रकार के कंप्यूटर (Other types of Computers)

  • स्मार्टफ़ोन (Smartphone) : कई सेल फ़ोन इंटरनेट ब्राउज़ करने और गेम खेलने सहित कई चीजें कर सकते हैं।उन्हें अक्सर स्मार्टफोन कहा जाता है।
  • पहनने योग्य (Wearable) : पहनने योग्य तकनीक उपकरणों के एक समूह के लिए एक सामान्य शब्द है – जिसमें फिटनेस ट्रैकर्स और स्मार्टवॉच शामिल हैं-जिन्हें पूरे दिन पहने जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।इन उपकरणों को अक्सर पहनने योग्य कहा जाता है।
  • गेम कंसोल (Game Control) : एक गेम कंसोल एक विशेष प्रकार का कंप्यूटर है जिसका उपयोग आपके टीवी पर वीडियो गेम खेलने के लिए किया जाता है।
  • टीवी (TV): कई टीवी में अब एप्लिकेशन या ऐप्स शामिल हैं जो आपको विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन सामग्री तक पहुंचने देते हैं।उदाहरण के लिए, आप सीधे अपने टीवी पर इंटरनेट से वीडियो स्ट्रीम कर सकते हैं।

Features / Characteristics of Computer (कंप्यूटर की विशेषताये)

Speed (गति)

आप पैदल चल कर कही भी जा सकते है फिर भी साईकिल, स्कूटर या कार का इस्तेमाल करते है ताकि आप किसी भी कार्य को तेजी से कर सके Machine की सहायता से आप कार्य की Speed बड़ा सकते है इसी प्रकार Computer किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर सकता है Computer कुछ ही Second में गुणा, भाग, जोड़, घटाना जैसी लाखो क्रियाएँ कर सकता है यदि आपको 500*44 का मान ज्ञात करना है तो आपको 1 या 2 Minute का समय लगेगा ,यही कार्य कैलकुलेटर से करने पर लगभग 1 या 2 Second का समय लगेगा पर कंप्यूटर ऐसी लाखों गणनाओ को कुछ ही सेकंड में कर सकता हैं|

Automation (स्वचालन)

हम अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार की स्वचलित मशीनों का Use करते है Computer भी अपना पूरा कार्य स्वचलित (Automatic) तरीके से करता है कंप्यूटर अपना कार्य, प्रोग्राम के एक बार लोड हो जाने पर स्वत: करता रहता हैं|

Accuracy (शुद्धता)

Computer अपना सारा कार्य बिना किसी गलती के करता है यदि आपको 10 अलग-अलग संख्याओ का गुणा करने के लिए कहा जाए तो आप इसमें कई बार गलती करेगे | लेकिन साधारणत: Computer किसी भी Process को बिना किसी गलती के पूर्ण कर सकता है Computer द्वारा गलती किये जाने का सबसे बड़ा कारण गलत Data Input करना होता है क्योकि Computer स्वयं कभी कोई गलती नहीं करता हैं|

Versatility (सार्वभौमिकता)

Computer अपनी सार्वभौमिकता के कारण बढ़ी तेजी से सारी दुनिया में अपना प्रभुत्व जमा रहा है Computer गणितीय कार्यों को करने के साथ साथ व्यावसायिक कार्यों के लिए भी प्रयोग में लाया जाने लगा है| Computer का प्रयोग हर क्षेत्र में होने लगा है| जैसे- Bank, Railway, Airport, Business, School etc.

High Storage Capacity (उच्च संग्रहण क्षमता)

एक Computer System में Data Store करने की क्षमता बहुत अधिक होती है Computer लाखो शब्दों को बहुत कम जगह में Store करके रख सकता है यह सभी प्रकार के Data, Picture, Files, Program, Games and Sound को कई बर्षो तक Store करके रख सकता है तथा बाद में हम कभी भी किसी भी सूचना को कुछ ही Second में प्राप्त कर सकते है तथा अपने Use में ला सकते है|

Diligence (कर्मठता)

आज मानव किसी कार्य को निरंतर कुछ ही घंटो तक करने में थक जाता है इसके ठीक विपरीत Computer किसी कार्य को निरंतर कई घंटो, दिनों, महीनो तक करने की क्षमता रखता है इसके बावजूद उसके कार्य करने की क्षमता में न तो कोई कमी आती है और न ही कार्य के परिणाम की शुद्धता घटती हैं| Computer किसी भी दिए गए कार्य को बिना किसी भेदभाव के करता है चाहे वह कार्य रुचिकर हो या न हो |

Reliability (विश्वसनीयता)

Computer की Memory अधिक शक्तिशाली होती है Computer से जुडी हुई संपूर्ण प्रक्रिया विश्वसनीय होती है यह वर्षों तक कार्य करते हुए थकता नहीं है तथा Store Memory वर्षों बाद भी Accurate रहती हैं|

Power of Remembrance (याद रखने की क्षमता)

व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सारी बाते करता है लेकिन महत्वपूर्ण बातों को ही याद रखता है लेकिन Computer सभी बाते चाहे वह महत्वपूर्ण हो या ना हो सभी को Memory के अंदर Store करके रखता है तथा बाद में किसी भी सूचना की आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराता हैं|

सरल शब्दों में सारांश (Summary Words)

  • कम्‍प्‍यूटर एक इलेक्‍ट्रानिक डिवाइस होता हैं।
  • कम्‍प्‍यूटर शब्‍द की उत्‍पत्ति अंग्रेजी के “Compute” शब्‍द से हुई हैं।
  • कम्‍प्‍यूटर यूजर के द्वारा इनपुट किये गए डाटा को प्रोसेस करके परिणाम को आउटपुट के रूप में प्रदान करता हैं।
  • सॉफ्टवेयर निर्देशों का एक सेट होता हैं जो हार्डवेयर को बताता हैं कि क्‍या करना हैं और कैसे करना हैं।
  • हार्डवेयर आपके कम्‍प्‍यूटर का वह हिस्‍सा होता हैं जिसमें भौतिक संरचना शामिल होती हैं।
  • लैपटॉप एक बैटरी संचालित कम्‍प्‍यूटर होता हैं जो डेस्‍कटॉप से अधिक पोर्टेबल होता हैं।
  • टैबलेट में टाइपिंग और नेविगेशन के लिए टच-संवेदनशील स्‍क्रीन का उपयोग किया जाता हैं।

कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस

 इनपुट डिवाइस को समझने से पूर्व हमारा input शब्द को समझना जरूरी है. कंप्यूटर में सूचना भरने की प्रक्रिया को input कहा जाता है. अतः किसी भी कंप्यूटर में इनपुट डिवाइस एक Hardware उपकरण होता है! जो users को प्रोग्राम को control एवं Interact करने में सहायक होता है।यह डिवाइस आपके कंप्यूटर में डाटा को Send करते हैं तथा उसके बाद आपको Result मॉनिटर पर Show होता है।

ऐसे तो कहीं इनपुट डिवाइस उपलब्ध है, जो कंप्यूटर में डेटा को input करते हैं! लेकिन इनमें से जो Primary इनपुट डिवाइस के नाम है, Mouse एवं Keyboard! तो  यहां पर आपके मन में सवाल आ सकता है कि कंप्यूटर में Input डिवाइस का होना क्यों जरूरी है?

किसी भी कंप्यूटर device में इनपुट डिवाइस कंप्यूटर में होना बेहद जरूरी है! इनपुट डिवाइस यूजर को कंप्यूटर Run करने में सहायक होते हैं।

उदाहरण के तौर पर यदि कंप्यूटर में इनपुट डिवाइस न उपलब्ध हो! तो हो सकता है कि कंप्यूटर बिना Command दिए Task को ऑटोमैटिक पूरा करें! और साथ ही जरूरत पड़ने पर device की Settings को changes एवं Errors को फिक्स इत्यादि अनेक कार्यों को नहीं किया जा सकता।

इसके साथ ही यदि आपके कंप्यूटर में कुछ नई Information Add करनी है! जैसे Text कमांड, डॉक्यूमेंट Creation इत्यादि यह सब काम हम बिना इनपुट डिवाइस के नहीं कर सकते।आप सोचिए ना यदि आपके कंप्यूटर में Mouse, keyboard उपलब्ध ना हो तो क्या आप आसानी से कार्य कर पाएंगे।नहीं

इनपुट डिवाइस कंप्यूटर में कौन सा डाटा सेंड करते

एक कंप्यूटर यूजर द्वारा इनपुट डिवाइस के विषय पर पढ़ते समय उनके मन में यह विचार आ सकता है!  यह बाद निर्भर करती है की आपके कंप्यूटर में कौन सा इनपुट डिवाइस उपलब्ध है? ज्यादातर इनपुट डिवाइस डाटा को केबल या Wireless ट्रांसमिशन के माध्यम से ट्रांसफर करते हैं! उदाहरण के तौर पर यदि आप कंप्यूटर Mouse को Move करते हैं तो माउस उस डाटा को X, Y Axis movements के रूप में भेजता है! जिसे कंप्यूटर माउस Cursor के रूप में स्क्रीन पर Show करता है।

उम्मीद है की अब आप जान गये होगे की इनपुट डिवाइस क्या है? (What Is Input Devices In Hindi) तो  हम आगे बढ़ते हैं तथा कंप्यूटर के सभी इनपुट डिवाइस के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।

इनपुट डिवाइस के प्रकार

Keyboard

दोस्तों शुरुआत करते हैं कीबोर्ड से! क्योंकि आमतौर पर हम सभी कंप्यूटर में कीबोर्ड का इस्तेमाल देख सकते हैं।Keyboard एक Input डिवाइस होता है।जो Letters, नंबर, Symbol टाइप करने के साथ ही कंप्यूटर में Text कमांड देने में सहायक होता है।

दोस्तों प्रत्येक डिवाइस के अनुसार कीबोर्ड भी अलग-अलग size के होते हैं! laptop Keyboard, Desktop keyboard, Smartphone Keyboard तथा Tablet Keyboard.

दोस्तों जैसा कि आप जानते होंगे की कंप्यूटर keyboards पर आपको कुल मिलाकर 6 प्रकार की keys देखने को मिलती हैं।

Alpha Numeric Keys

दोस्तों कीबोर्ड में A से लेकर Z तक Keys होती है! तथा 0 से 9 तक जो keys होती हैं उन्हें Alpha numeric keys के नाम से जाना जाता है।

Numeric Keys

दोस्तों इन Keys के उपयोग के लिए Num Lock बटन उपलब्ध होता है! कीबोर्ड में यह keys कंप्यूटर में 0-9 तक होती हैं।

Function Keys

दोस्तों कीबोर्ड में जो आपको F1, f2 Keys दिखाई देती है, यह सभी Keys Function Keys के नाम से जानी जाती है।

Special Purpose Keys

दोस्तो आपने कुछ कीबोर्ड जैसे कि Multimedia कीबोर्ड में सबसे ऊपर की तरफ play/pause Volume Up/down इत्यादि बटन देखे होंगे! यह Special Purpose Keys होती है।

Arrow Keys

Right, left up Down Keys जो आपको कंप्यूटर में दिखाई देती है! यह Arrow keys होती है।

Modifier Keys

इसके बाद वे keys जो Ctrl, Alt, Tab इत्यादि को Modified keys के नाम से जाना जाता है।

Mouse

यह एक कंप्यूटर हार्डवेयर Pointer input डिवाइस है! यह हाथ से Carry किया जाने वाला एक Input डिवाइस है! जो Gui (graphical user interface) के माध्यम से Cursor कंट्रोल करता है! यह Text को सिलेक्ट करने, icons, Files तथा फोल्डर को Move तथा सेलेक्ट करने का कार्य करता है।

दोस्तों Pointer डिवाइस से अर्थ उस डिवाइस से है, जिसका इस्तेमाल कर हम कंप्यूटर में Cursor को कंट्रोल करने के लिए करते हैं, और इसी प्रकार हम अपने हाथों से माउस को कंट्रोल करते हैं तो इसलिए यह एक Pointer डिवाइस कहलाता है।

दोस्तों Desktop कंप्यूटर में माउस को एक Flat Surface (सतह) पर या तो किसी टेबल या फिर माउस Pad पर कंप्यूटर के सामने रखा जाता है जिसमें दो Button तथा एक Wheel लगा होता है।

माउस भी तीन प्रकार के होते हैं:

Mechanical Mouse

  • Optical Mouse
  • Cardless Mouse
  • Touchpad

एक टचपैड जिसे glide pad, glide point, or trackpad इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।यह एक इनपुट डिवाइस है जो Laptop डिवाइस में Inbuilt माउस का कार्य करता है।एक टचपैड किसी यूज़र को उंगलियों की सहायता से Cursor को Move करने में सहायक होता है।अतः इसे एक External Mouse के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

एक सामान्य डेस्कटॉप कंप्यूटर की तरह ही टचपैड में भी दो बटन होते हैं! जो कि Touch Surface के नीचे स्थित होते है यह यूजर को Left क्लिक एवं Right क्लिक करने की सुविधा देते हैं।

Barcode Reader

बारकोड भी इनपुट डिवाइस का एक प्रकार है! एक Bar कोड Lines का एक सेट होता है! जिसमें Width एवं Sizes डाटा को रिप्रेजेंट करते हैं! जो Object को स्कैन करने एवं Identify करने में सहायक होता है।

बारकोड आमतौर पर प्रोडक्ट को ऑर्गेनाइज, प्रोडक्ट से जुड़ी इंफॉर्मेशन देखने या Price के बारे में जानकारी देने का कार्य करते हैं।

Business Card Reader

दोस्तों इनपुट डिवाइस के अनेक प्रकारों में से एक बिजनेस कार्ड रीडर है जो कंप्यूटर Scanner की भाँति दिखाई देता है।एक बिजनेस कार्ड रीडर यूजर्स को कंप्यूटर में डिजिटल Storage के लिए बिजनेस कार्ड Scan करने की अनुमति देता है।

दोस्तों एक तरफ जहां कंप्यूटर स्कैनर Scanning एवं Text Documents को OCR सॉफ्टवेयर की मदद से typed टेस्ट में बदलने में सक्षम होते हैं।

वहीं दूसरी तरफ बिजनेस कार्ड Reader भी Same सिद्धांत पर कार्य करते हैं जो बिजनेस कार्ड में से Text को Read कर उसे कंप्यूटर में Typed Text में परिवर्तित कर देते हैं

Light Pen

लाइट सेंसेटिव Point डिवाइस है! जिसका उपयोग सामान्यतः स्क्रीन पर दिखाई दे रहे डाटा को select एवं मॉडिफाई करने हेतु किया जाता है।

इसका उपयोग CRT मॉनिटर्स में किया जाता है! वर्ष 1955 के आसपास लाइट पेन नामक इस टेक्नोलॉजी का आविष्कार हुआ तथा इसके बाद से तेजी से इसका उपयोग बढ़ा।

लाइट पेन को आप Pen (Stylus) से भी डिस्क्राइब कर सकते हैं, जिसे टेबलेट के साथ उपयोग किया जाता है।

दोस्तों हो सकता है आप में से कई लोगों ने पहली बार लाइट पेन नामक इस इनपुट डिवाइस के बारे में पढ़ा हो! ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान समय में लाइट Pan का इस्तेमाल नहीं किया जाता! इनका स्थान वर्तमान समय में टचस्क्रीन डिवाइस ले चुके हैं।

Microphone

दोस्तो आपने अक्सर लोगों को माइक्रोफोन का उपयोग करते देखा होगा! या फिर किया भी होगा।यह भी एक इनपुट डिवाइस है! जिसे हम माइक भी कहते हैं।

इस हार्डवेयर डिवाइस को वास्तविक रूप से वर्ष 1877 में Emile Berliner नामक व्यक्ति ने आविष्कार किया।

एक माइक्रोफोन का उपयोग कंप्यूटर में यूजर्स को ऑडियो Send करने अर्थात कंप्यूटर में ऑडियो इनपुट करने के लिए होता है।आपके कंप्यूटर डिवाइस में माइक्रोफोन का उपयोग अनेक कार्यों के लिए किया जा सकता है जैसे कि

  • Audio for a video
  • Voice recorder
  • Voice recognition
  • Computer gaming
  • Online chatting
  • Singing
  • Podcast
  • Punch Card Reader

दोस्तों डाटा स्टोरेज का यह पूराना Method है! जिसका प्रयोग पहले के कंप्यूटर में किया जाता था।क्योंकि वर्तमान समय में इनका प्रचलन नहीं है।Punch cards को दूसरे नामों जैसे Hollerith cards and IBM cards से भी जाना जाता है।

इन पेपर कार्ड्स में अनेक Holes (छिद्र) होते थे जो हाथों या मशीन द्वारा Punched कर डाटा को Represent करते थे।दोस्तों यह कार्ड कंपनियों में कंप्यूटर में Card को Enter कर जानकारियों को स्टोर एवं एक्सेस करने की अनुमति देता है।

Touch Screen

दोस्तों आज हम जिस touch Screen का इस्तेमाल करते हैं! उसे भी इनपुट डिवाइस का एक प्रकार माना जाता है।वास्तव में टच स्क्रीन एक Display डिवाइस होती है।जो यूजर की अंगुलियों की सहायता से कंप्यूटर से Interact करती है

दोस्तों वर्तमान समय में कंप्यूटर्स में माउस, कीबोर्ड के स्थान पर Touch स्क्रीन एक बढ़िया ऑप्शन है।आज टचस्क्रीन तकनीक का इस्तेमाल अनेक डिवाइस में किया जा रहा है जैसे कि कंप्यूटर, लैपटॉप डिवाइस स्मार्टफोन टेबलेट इत्यादि।

हालांकि कंप्यूटर, लैपटॉप टच स्क्रीन के मॉडल बाजार में उपलब्ध है! परंतु इनकी कीमत काफी अधिक होने की वजह से वर्तमान समय में इनकी पहुंच सीमित यूज़र्स तक है।

Remote

दोस्तों रिमोट भी इनपुट डिवाइस का एक प्रकार होता है! हालांकि रिमोट विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं।यह भी एक हार्डवेयर डिवाइस होता है जो यूजर को डिवाइस को कंट्रोल करने की अनुमति एवं Object के परिवर्तन में सहायता करता है।

उदाहरण के लिए टीवी रिमोट जो हमें दूर बैठकर किसी भी बोरिंग टीवी Show को बदलने, Volume Up Down करने तथा Tv को Turn ऑफ Turn ऑन करने में सहायक होता है।

दोस्तों इस प्रकार रिमोट जो दूर स्थित है टीवी सिगनल्स के जरिए Input भेजता है, यह भी इनपुट डिवाइस का प्रकार माना जाता है।

Webcam

दोस्तों आप कंप्यूटर में इंटरनेट की जरिये वीडियो कॉलिंग करते होंगे! तो आपने Webcam डिवाइस का नाम जरूर सुना होगा।यह एक Hardware कैमरा है! जो एक इनपुट डिवाइस है।

जिसकी मदद से आप पिक्चर क्लिक करने के साथ ही Motion वीडियो Create कर सकते हैं! जिस तरह आप इस स्मार्टफोन में सेल्फी कैमरे का उपयोग करते हैं, ठीक उसी तरह यह आपके कंप्यूटर, लैपटॉप में कार्य करता है।

वर्तमान समय में अधिकतर वेब कैमरा Inbuilt होते हैं या फिर Usb या FireWire के जरिए कंप्यूटर डिवाइस में वेबकैम का उपयोग किया जा सकता है।

Light Gun

दोस्तों एक लाइटगन एक Pointing input डिवाइस है, यह Gun Barrel में photodiode के माध्यम से Light डिटेक्ट करता है!

दोस्तों लाइट गन का इस्तेमाल पहले के समय में किया जाता था! जब पहले के गेमिंग कंसोल system का उपयोग होता था उस समय इस गन की मदद से कोई भी प्लेयर गेम खेलने के दौरान Screen पर Gun को पॉइंट कर अपने Targets को Shoot कर सकता था।

दोस्तों वर्तमान समय में इसका ट्रेंड खत्म हो चुका है इसलिए आज हमें इसका उपयोग कहीं देखने या सुनने को नहीं मिलता है।

Joy Stick

आपने किताबों में जॉय स्टिक का नाम जरूर सुना होगा! या उपयोग भी किया होगा।दोस्तों जॉय स्टिक कंप्यूटर में किसी प्रोग्राम को Run करते समय किसी Character को या मशीन को कंट्रोल करने का कार्य करता है।

उदाहरण के तौर पर जब आप कंप्यूटर पर गेम खेलते हैं तो आप गेम के दौरान अपने Plane को नियंत्रित कर सकते हैं।

दोस्तों जॉयस्टिक का Games में काफी उपयोग होता है, जो आप को वास्तविक अनुभव देता है।जॉय स्टिक में Buttons होते हैं जिनका उपयोग कर प्रोग्राम को कंट्रोल किया जाता है।वर्तमान समय में कंप्यूटर में Usb Port से Joystick को Easily कनेक्ट किया जा सकता है

कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइस

एक आउटपुट डिवाइस वे उपकरण हैं, जो कंप्यूटर से डाटा एवं इनफार्मेशन को Receive करते है, तथा फिर उस information को वह Human-Readable फॉर्म में बदलने का कार्य करते हैं।यह Output Text, ग्राफ़िक्स, Audio, video इत्यादि हो सकती है।

जैसे एक प्रिंटर है जो की आउटपुट डिवाइस का एक प्रकार है, जिसका उपयोग कंप्यूटर में दिखाई दे रहे किसी content को Hard कॉपी में परिवर्तित करना होता है।इसके साथ ही कंप्यूटर में जो Monitor इंफॉर्मेशन को दर्शाता है यह भी एक output डिवाइस का प्रकार है।

अतः Monitors तथा प्रिंटर्स कंप्यूटर के दो मुख्य आउटपुट डिवाइस के प्रकार हैं।

हालांकि यहां आपका जानना जरूरी है कि बिना आउटपुट डिवाइस के भी आपका कंप्यूटर कार्य करेगा! परंतु आपके कंप्यूटर पर क्या हो रहा है इस बात की आपको कोई जानकारी नहीं होगी।

See also  10 Class Accountancy Quiz 1.4

दोस्तों हम कंप्यूटर में आउटपुट डिवाइस की जरूरत को इस प्रकार भी समझ सकते हैं, जब कंप्यूटर input डिवाइस से निर्देश लेता है तो उसके परिणाम को प्रदर्शित करने के लिए उसे एक Device की आवश्यकता होती है, जिसे हम Output डिवाइस के रूप में जान सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर keyboard एक इनपुट डिवाइस है, आप keyboard के जरिए कंप्यूटर को जो भी Text command या निर्देश देते हैं! उन्हें देखने के लिए हमें एक आउटपुट डिवाइस अर्थात Monitor की जरूरत पड़ती है।

तो दोस्तों इसी तरह न सिर्फ मॉनिटर, प्रिंटर बल्कि अनेक Output डिवाइस आज मौजूद है, जिनके बारे में निम्नलिखित आपको विस्तारपूर्वक बताया जा रहा है! वैसे यहां पर सभी आउटपुट Devices की जानकारी देना तो संभव नहीं है! परंतु यहां हम आपको अधिक से अधिक Output डिवाइस के बारे में बताने की कोशिश करेंगे।

आउटपुट डिवाइस के प्रकार

Speaker

दोस्तों स्पीकर एक Output डिवाइस है।जिसका इस्तेमाल लगभग सभी कंप्यूटर Users करते ही हैं! यह एक Hardware डिवाइस है जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर में Sound को Generate अर्थात ध्वनि उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

कंप्यूटर में विभिन्न प्रोग्राम सॉफ्टवेयर अलग-अलग ध्वनि उत्पन्न करते हैं! तथा इन Sounds के जरिए हमें पता चलता है, की कंप्यूटर को कौन सी कमांड दी है।अतः Speaker एक आउटपुट डिवाइस के तौर पर उस साउंड को हमें सुनने में मदद करता है।

Monitor

दोस्तों जैसा कि आप जान चुके हैं कि Monitor भी एक Output डिवाइस है! मॉनिटर Text एवं Picture को Display करता है।हम कंप्यूटर में जो भी Instructions देते हैं वह सब हमें Monitor के जरिए Show होता है! तथा उसके बाद ही हम अगले Step पर बढ़ते हैं।

अतः Monitor को एक Primary आउटपुट डिवाइस के रूप में गिना जाता है।एक मॉनिटर में कुछ buttons होते हैं जो display Settings को Adjust करने के लिए उपयोगी होते हैं।

पहले के कंप्यूटर का साइज Tv के आकार का होता था, परंतु वर्तमान समय में Lcd, Led डिस्प्ले Monitor मार्केट में उपलब्ध हैं।अतः आप अपने बजट अनुसार किसी भी अच्छी Display के मॉनिटर को खरीद सकते हैं।

Printer

दोस्तों प्रिंटर भी एक बाहरी External Hardware आउटपुट डिवाइस है! जिसकी मदद से Users इलेक्ट्रॉनिक डाटा को Page में प्रिंट कर पाते हैं।प्रिंटर भी कई प्रकार के होते हैं जैसे कि Dot Matrix Printer, Inkjet प्रिंटर इत्यादि सभी प्रिंटर Output डिवाइस की श्रेणी में आते हैं।

Computer के मुख्य डिवाइस के तौर पर printer को जाना जाता है! तथा आम तौर पर Office, घरों में प्रिंटर्स का इस्तेमाल Text एवं Photos को प्रिंट करने के लिए किया जाता है।दोस्तों यदि आप प्रिंटर के बारे में पूरी जानकारी पाना चाहते हैं तो आप हमारे पिछले लेख को पढ़ सकते हैं.

Projector

दोस्तों हो सकता है अपने स्कूल, College या फिर ऑफिस में Presentation के लिए प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया या देखा होगा!

दोस्तों यह भी Output डिवाइस का एक प्रकार है जो कंप्यूटर या Blue-ray द्वारा Generate किए गए images को ले सकता है।और large स्क्रीन में किसी दीवार पर प्रोजेक्टर का use किया जा सकता है।

दोस्तों प्रोजेक्टर का इस्तेमाल Meetings में प्रेजेंटेशन तथा Seminar या किसी Event में Slide Show करने के लिए Large screen का उपयोग किया जाता है, प्रोजेक्टर में Image या फिर Video भी देखी जा सकती है।

GPS

GPS की full फॉर्म Global Positioning System है, दोस्तों यह सेटेलाइट्स का एक नेटवर्क होता है, जो की पृथ्वी पर किसी व्यक्ति या Device की लोकेशन जानने में मदद करता है।

यह भी Output Device का मुख्य Type है! दोस्तों Gps आजकल काफी लोकप्रिय माध्यम है, जिसके जरिए हम दूर रहकर किसी व्यक्ति के स्थान की जानकारी पता कर सकते हैं।

आज गूगल Maps तथा अन्य लोकेशन ट्रैकर एप्लीकेशन में Gps का उपयोग होता है! साथ ही आजकल GPS Support वाहनों (Vehicle) में भी देखने को मिलता है।

Ola, uber इत्यादि टैक्सी में GPS के माध्यम से यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचते हैं।

Headphones

हेडफोन जिसे आमतौर पर लोग Earphone के नाम से भी जानते हैं!दोस्तों यह भी हार्डवेयर आउटपुट डिवाइस है, जो किसी भी Audio का Output कर लोगों को उसे सुनने में सक्षम बनाता है।

हेडफोन का इस्तेमाल हम अपने स्मार्टफोन या कंप्यूटर डिवाइस में Easily plug या Wifi, bluetooth के माध्यम से कर सकते हैं।

हेडफोन इसलिए काफी लोकप्रिय हैं,क्योंकि इसमें हम अपने पसंदीदा Songs, Movies को बिना दूसरे व्यक्ति को Disturb किए बगैर आसानी से देख पाते हैं।आजकल बाजार में विभिन्न कीमत तथा Functions के Headphone उपलब्ध हैं।

Sound Card

जिसे आमतौर पर Audio Output डिवाइस, Audio कार्ड या Sound Board के संदर्भ में भी देखा जाता है।दोस्तों एक साउंड कार्ड एक Expension Card या IC होती है जो कंप्यूटर में साउंड Produce उत्पन्न करता है! जिससे हम ध्वनि को स्पीकर से या फिर Headphones के माध्यम से सुन पाते हैं।

आपके कंप्यूटर में sound कार्ड के कई Audio Jack ग्रुप में जुड़े होते हैं! हालांकि किसी कंप्यूटर के कार्य करने के लिए साउंड कार्ड का होना आवश्यक नहीं होता है।अर्थात बिना साउंड कार्ड के भी कंप्यूटर कार्य करता है, परंतु कंप्यूटर मशीन में Sound Card in-built आते हैं।

Plotter

दोस्तों Printer की तरह Plotter भी एक आउटपुट डिवाइस है! जिसका नाम शायद आपने पहले सुना होगा।

इसका कार्य लगभग प्रिंटर जैसा होता है, जिसका इस्तेमाल Vector ग्राफिक्स को प्रिंट करने के लिए होता है! प्रिंटर्स की तुलना में यह भिन्न होता है क्योंकि Plotter वह डिवाइस है, जो पेज में कंप्यूटर Commands की सहायता से पिक्चर्स को Draw करता है।

Plotter पुराने प्रिंटर्स की तरह Dots की एक सीरीज के बजाएं Lines को खींचने के लिए पेन, पेंसिल Marker इत्यादि उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।

TV

दोस्तों आब हम बात करते हैं टेलिविज़न की! तो टीवी भी Outout डिवाइस का मुख्य प्रकार है।जो कि एक Electronic Device है।

दोस्तों TV के आउटपुट डिवाइस होने का मुख्य कारण यह है कि है यह इनपुट के रूप में Audio एवं Visual सिग्नल को प्राप्त करता है, तथा फिर उसे आउटपुट के रूप में दर्शकों के लिए प्रस्तुत करता है।

वर्तमान समय में बाजार में कई प्रकार के टीवी उपलब्ध है आप Lcd, led 4K टीवी को घर पर ला सकते हैं और इस आउटपुट डिवाइस का उपयोग कर सकते हैं.

Video Card

वीडियो कार्ड जिसे हम display adapter, ग्राफिक कार्ड, आदि नामों से भी जानते हैं! लेकिन काफी कम कंप्यूटर यूजर्स को असल में पता होता है कि यह वीडियो कार्ड का काम क्या होता है?

दोस्तों वीडियो कार्ड एक Expension कार्ड होता है! यह आपके कंप्यूटर के Motherboard में लगाया जाता है, इसका कार्य Display पर Pictures क्रिएट करना होता है।

यदि हम इसे विस्तार पूर्वक समझें दो यह हार्डवेयर का भाग है, जो वीडियो एवं इमेज प्रोसेसिंग का कार्य करता है।इनका इस्तेमाल अधिकतर वीडियो gamers द्वारा किया जाता है।

Flat Panel Display

दोस्तों फ्लैट पैनल डिस्पले तकनीक आने के बाद इसने Crt तकनीक का स्थान ले लिया है! क्योंकि crt मॉनिटर्स का साइज एवं भार ज्यादा होता है! वही वजह है वर्तमान समय में फ्लैट पैनल Display आपको lcd, led मॉनिटर में देखने को मिलती है।

फ्लैट पैनल तकनीक के आने के बाद Monitor काफी पतले एवं लाइटवेट हो चुके हैं! आज आप मार्केट में देखते हैं कई Lcd, एलईडी मॉनिटर उपलब्ध है! और आप भी इस फ्लैट पैनल Display टेक्नोलॉजी को अपना रहे होंगे।

COM (Computer Output Film)

Com एक System है जो Store किये गए डाटा को सीधे Microfilm या Microfiche में परिवर्तित करता है! Computer Output Film सिस्टम काफी पुराने हैं, परन्तु आज भी इनका इस्तेमाल आज भी किया जाता है इनका इस्तेमाल अधिकतर उन संस्थाओं द्वारा किया जाता है।

जिन्हें Payroll एकाउंटेंसी, इंश्योरेंस इन्वेंटरी तथा कर्मचारियों के डाटा को स्टोर करने की जरूरत पड़ती है।

Braille Reader

हो सकता है आपने इस Term का नाम पहली बार सुना होगा! लेकिन braille reader एक डिस्प्ले होती है! जी हां दोस्तों braille reader एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है! जो किसी Blind पर्सन को मदद करती है, डिस्प्ले में दिखाई दे रहे Text को Read करने में!

दोस्तों कंप्यूटर Text को आउटपुट डिवाइस में सेंड करता है तथा वहां इसे braille में परिवर्तित किया जाता है, तथा मशीन में एक फ्लैट सर्विस के माध्यम से Rounded pins का उपयोग कर text को Display किया जाता है।

braille reader कई प्रकार के होते हैं जिसमें large यूनिट्स (जो कंप्यूटर कीबोर्ड के साइज में उपलब्ध होते हैं) तथा Small यूनिट्स जिन्हें लैपटॉप तथा टेबलेट डिवाइस के लिए डिजाइन किया गया है।

SGD

यह एक आउटपुट डिवाइस है जिसका पूरा नाम speech-generating device है! यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उन लोगों को संवाद करने में सहायता करता है! जो बोलने में सही तरीके से सक्षम नहीं होते।अर्थात इस का उपयोग उन लोगों द्वारा किया जाता है जिन्हें Lou Gehrig & disease नामक बीमारी होती है

उदाहरण के तौर पर Stephan Hawkins दोस्तों यह Sgd डिवाइस उन लोगों के लिए भाषण या लेखन में सहायक होते हैं।दोस्तों इस प्रकार आपने इस लेख में एक नए Output डिवाइस के बारे में सुना होगा

कैसे चेक करें आपके कंप्यूटर में कौन-कौन से आउटपुट डिवाइस हैं?

तो दोस्तों जैसा कि अभी आपने कई सारे Output डिवाइस के बारे में जानकारी ली! तो आप ऊपर बताए गए आउटपुट डिवाइस के आधार पर पता कर सकते हैं! कि आपके डिवाइस कंप्यूटर सिस्टम में कौन-सा Output डिवाइस उपलब्ध है।

वैसे आमतौर पर सभी कंप्यूटर में Output डिवाइस के रूप में एक Monitor, Sound कार्ड (On-board मदरबोर्ड में भी हो सकता है) साथ ही यदि आपके कंप्यूटर से प्रिंटर कनेक्टेड है तो वह भी एक आउटपुट डिवाइस होगा।

तो दोस्तों इस प्रकार आप अपने कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइस को Check कर सकते हैं।

इंटरनेट

Internet दुनिया भर में एक-दूसरे से जुड़े कंप्यूटर का जाल है।जिसमें विश्व भर के कंप्यूटर आपस में जुड़े हुए हैं।जिससे इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट (TCP/IP) की मदद से विभिन्न डिवाइस को आपस में जोड़ जाता है।

इंटरनेट में कई प्रकार की जानकारी सेवाएं आदि समाहित होती हैं, जिनमें hypertext डॉक्यूमेंट, email तथा apps आदि शामिल हैं।तथा इंटरनेट नेटवर्क का नेटवर्क होता है जिसमें पब्लिक, प्राइवेट तथा सरकारी नेटवर्क है जो इलेक्ट्रॉनिक, वायरलेस तथा अन्य तकनीकों से जुड़े हैं।

इंटरनेट लोगों तक सूचनाओं तथा data को पहुँचाने का अत्यंत सरल तथा तेज माध्यम है, यह data हमें text, इमेज तथा ऑडियो, वीडियो आदि किसी भी फॉर्मेट में हम तक पहुँच सकता है।

भारत में इंटरनेट की शुरुआत

वर्ष 1995 में पहली बार इंटरनेट का उपयोग सार्वजनिक रूप से भारत में किया गया।और जिस कंपनी द्वारा इंटरनेट सर्विस भारत में शुरू की गई उसका नाम विदेश संचार निगम लिमिटेड VSNL था।तथा उस समय इंटरनेट सर्विस को gateway internet access service नाम दिया गया था।

लेकिन उस समय दी जाने वाली इंटरनेट स्पीड और उसके खर्चे को सुनकर आप चौक जायेंगे क्योंकि 9.6 KBIT प्रति सेकंड इंटरनेट स्पीड में 250 घंटों के लिए $160 चार्ज किए जाते थे।दिल्ली मुंबई कोलकाता जैसे शहरों में यह सेवा सबसे पहले लोगों द्वारा इस्तेमाल की गई थी।एक सामान्य व्यक्ति के लिए इंटरनेट एक्सेस करना सरल नहीं था क्योंकि काफी अधिक चार्ज लिया जाता था।

लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है आज भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट यूजर्स वाला देश है।वर्ष 2014 तक भारत में इंटरनेट 9 भिन्न fibers द्वारा समुद्र तल से डिलीवरी किया जाता था।आज हमारे देश में 483 मिलियन से भी अधिक इंटरनेट यूजर हैं और यह संख्या बढ़ती जा रही है।भारत में अगरतला शहर में एक overland internet connection है।

WWW

WWW की full फॉर्म world wide web है जिसे शार्ट में www या the web भी कहा जाता है।यह एक Information System है जिसमें वेबसाइट्स तथा web पेजेस शामिल होते हैं।www का Tim Berners Lee द्वारा स्विट्ज़रलैंड में वर्ष 1989 को अविष्कार किया था।यहाँ आपका जानना जरूरी है की आज हम custom वेब पेजेस बनाने के लिए HTML भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

WWW HTML, Http, Web Server और Web Browser पर काम करता है, Web Server पर सभी Website के लिए एक Link होता है जो WWW और Dot के साथ जुड़ा होता है जिसे Web Address कहते हैं जैसे – www.sncec.in

WWW कैसे काम करता है

www को देखने अर्थात web को इस्तेमाल करने के लिए जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है उसे web browser कहा जाता है।जिसके लिए आपके डिवाइस में इंटरनेट का होना आवश्यक होता है।इंटरनेट पर वेब resources किसी भी प्रकार के downloaded मीडिया हो सकते हैं।लेकिन web pages हाइपरटेक्स्ट मीडिया होते हैं जिन्हें html भाषा में तैयार किया जाता है।

इस प्रकार की फॉर्मेटिंग web pages में हाइपरलिंक की अनुमति देती है जो URL के रूप में show होता है जिससे यूज़र्स एक page से दूसरे पेज में सूचनाओं तथा जानकारी को देख पाते है।web page में केवल text ही नहीं बल्कि image, वीडियो, सॉफ्टवेयर शामिल हो सकते हैं।जो उपयोगकर्ता को मल्टीमीडिया कंटेंट के रूप में दिखाई देते हैं।

संक्षेप में www को समझें तो world wide web दुनिया भर में इंटरनेट से जुड़ी सार्वजनिक वेबसाइट के कलेक्शन (संग्रह) को refers (संदर्भित) करता है।क्लाइंट डिवाइस जैसे स्मार्टफोन तथा कंप्यूटर में web ब्राउज़र के जरिये इन कंटेंट या रिसोर्सेस को देखा जा सकता है।तथा कई सालों से www को the web के नाम से भी जाना जाता है.

दोस्तों क्योंकि हम यहां Www के बारे में पढ़ रहे हैं।तो इंटरनेट यूजर होने के नाते आपके मन में कभी ना कभी यह आया होगा।कि आखिर पूरी दुनिया में चलाया जाने वाला इंटरनेट का मालिक कौन है? क्या WWW के आविष्कारक (टीम बर्नर्स ली) द्वारा इंटरनेट को control किया जाता है आइए विस्तार से समझते हैं।

इंटरनेट बैंकिंग

इंटरनेट बैंकिंग को वेब बैंकिंग (web banking), नेट बैंकिंग, ऑनलाइन बैंकिंग आदि नामों से भी जाना जाता है।अतः सरल शब्दों में कहें तो “net banking सुविधा का इस्तेमाल ग्राहक इंटरनेट के जरिये घर बैठे अपने मोबाइल, कंप्यूटर आदि डिवाइस पर बैंकिंग की सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं.

नेट बैंकिंग विशेषकर उन लोगो के लिए फायदेमंद है, जो किसी कारणवश बैंक नहीं जा पाते अथवा बैंक में लगी कतारों से बचना चाहते हैं, वे लोग कहीं भी अपने मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन ऑन कर मोबाइल में बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इंटरनेट बैंकिंग के फ़ायदे

इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर ऑनलाइन बिजली बिल, मोबाइल रिचार्ज आदि कर घर बैठे कर सकते हैं।इसके अलावा हम ऑनलाइन शॉपिंग के समय पेमेंट के लिए नेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इंटरनेट बैंकिंग की मदद से हम ऑनलाइन अपना बैंक एकाउंट बैलेंस चेक कर सकते हैं।इसके अलावा हम नेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर बैंक से की गई ट्रांसेक्शन history की रिपोर्ट देख सकते हैं।इसके अलावा हम बैंक स्टेटमेंट को मोबाइल में डाउनलोड भी कर सकते हैं।इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर हम कहीं से भी अपने दोस्तों रिश्तेदारों या किसी भी व्यक्ति को पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं।

इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर हम बैंक जाए बगैर पासबुक, क्रेडिट कार्ड आदि के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।और चेक-बुक भी आर्डर कर सकते हैं।इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर हम बस, रेल टिकट बुक करने के साथ ही ऑनलाइन टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।

सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट

सेण्ट्रल प्रोसेसिंग इकाई (Central Processing Unit)-कम्प्यूटर का मुख्य भाग है,इसे आप कम्प्यूटर का मस्तिष्क भी कह सकते हैं।इसका कार्य है कम्प्यूटर पर आने वाले इनपुट और निर्देशों को प्रोसेस करना है।।कम्प्यूटर की यह यूनिट अंकगणित, तार्किक, नियन्त्रण से जुड़े कार्य, इनपुट कार्य, आउटपुट कार्य सम्पन्न करती है ।इसे आमतौर पर प्रोसेसर के रूप में भी जाना जाता है।कम्प्यूटर को ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की आवश्यकता होती है।यह दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से हार्डवेयर कमाण्ड दी जाती है किसी हार्डवेयर को कैसे कार्य करना है उसकी जानकारी सॉफ्टवेयर के अन्दर पहले से ही स्टोर कर दी जाती है ।कम्प्यूटर के सीपीयू से कई प्रकार के हार्डवेयर जुड़े रहते हैं, इन सबके बीच तालमेल बनाकर कम्प्यूटर को ठीक प्रकार से चलाने का काम करता है।

इसे कम्प्यूटर में मदर बोर्ड पर लगाया जाता है और मदर बोर्ड के माध्यम से ही कम्प्यूटर के अन्य घटकं एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।

लेखकन सूचना प्रणाली

खांकन में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेखा सूचना प्रणाली कहते हैं।इसके माध्यम से कम्प्यूटर का प्रयोग वित्तीय लेखांकन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों, जैसेकर, अंकेक्षण, बजटिंग आदि।इन सभी क्षेत्रों की सूचनाओं का उपयोग प्रबन्धकीय निर्णयों के लिए किया जाता है ।लेखांकन सूचना प्रणाली अन्य क्रियाशील सूचना प्रणालियों के लिए सूचनाओं का आदानप्रदान करती है।इस प्रणाली में संस्था द्वारा किए गए व्यवसाय का सामूहिक, क्रमबद्ध लेखाजोखा होता है।जैसे व्यवसाय द्वारा किसी माल के विक्रय पर उसका बीजक बनाना, विक्रय आदेश लेना एवं उसका क्रियान्वयन करना, स्टॉफ की स्थिति, परिवहन की स्थिति, कर्मचारियों का वेतन आदि ।लेखांकन सूचना प्रणाली के अन्तर्गत वित्त से सम्बन्धित सभी सूचनाओं का उच्च प्रबन्धन से लेकर, मध्य एवं निचले प्रबन्धन तक आदानप्रदान किया जा सकता है ।इस प्रणाली के द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में आर्थिक सूचना को अनेक प्रकार के उपयोगकर्ताओं के लिए पहचान, संग्रह एवं प्रक्रम तैयार करती है।वित्तीय सूचनाओं से सम्बन्धित डेटा इस तरह से व्यवस्थित होते हैं कि उनका उपयोग कर सही निर्णय लिया जा सके।इसके अतिरिक्त लेखांकन सूचना प्रणाली समस्त संसाधनों का एक मिश्रण है, जिससे वित्तीय एवं अन्य डेटा को सूचना में परिवर्तित करने के लिए डिजाइन किया गया है।यह सूचनाएँ विभिन्न प्रकार के उपयोगकर्ताओं एवं निर्णयकर्ताओं को उनकी सुविधानुसार प्रदान की जाती हैं।इस प्रणाली का प्रयोग इस बात की सुनिश्चितता प्रदान करता है, विभिन्न प्रकार के वित्तीय लेनदेन एवं सौदों का नियन्त्रण किया जा सके।कम्प्यूटर के प्रयोग के साथ इस प्रणाली में तीव्रता से सूचनाओं का आदानप्रदान करना एवं सुविधानुसार वित्तीय प्रतिवेदनों को निकालना है।प्रबन्धन को निर्णय लेने के लिए जानकारी का उपयोग करने के लिए उस जानकारी को सही तरह से प्रबन्धन करना चाहिए।अतः सूचना प्रबन्धन में शामिल है।

·        जरूरी जानकारी निर्धारित करना,

·        जानकारी एकत्रित करना और उसका विश्लेषण करना,

·        जानकारी को भण्डारित करना और जब जरूरत हो, पुनः प्राप्त करना,

·        उपयोग करना और जानकारी को फैलाना।

कम्प्यूटर लेखा प्रणाली की सीमाएँ

1.     प्रशिक्षण की लागत कम्प्यूटरीकृत लेखांकन पैकेज के लिये सामानयतः प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।फलतः कम्प्यूटर लेखांकन प्रणाली को प्रभावशाली एवं कार्यक्षमता के लिये, हार्डवेयर सॉफ्टवेयर के प्रयोग करने की तकनीकी की जानकारी को प्राप्त करने के लिये प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

2. कर्मचारियों का विरोध जब कभी भी लेखांकन को कम्प्यूटरीकृत किया जाता है तब लेखा कर्मचारियों द्वारा इसका विरोध, किया जाता है ये कर्मचारी इसकी पूर्व धारणा से ग्रसित होते हैं कि संगठन में उनकी महत्वता कम हो जायेगी तथा इनकी संगठन संख्या पर भी प्रभाव पड़ेगा।

3. विघटन जब कोई संगठन कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली की ओर अग्रसर होता है तो उसे लेखांकन प्रणाली के कार्य में समय की बर्बादी के दौर से गुजरना पड़ता है।यह केवल कार्य के वातावरण में परिवर्तन के कारण होता है एवं इसके लिये ऐसे लेखा कर्मचारियों की आवश्यकता होती है जो इस प्रणाली उसके कार्य करने के तरीके को अपना सकें।

4. प्रणाली की विफलता कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली की गम्भीर सीमा तब आती है जब प्रणाली में टकराव के कारण हार्डवेयर की विफलता और अनुवर्ती कार्य की हानि के कारण भयानक स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।जबकि बैकअप व्यवस्था द्वारा इस स्थिति से निजात पाया जा सकता है ।सॉफ्टवेयर की विफलता उस परवाइरस के आक्रमण के कारण सकती है।ऐसी स्थिति वस्तुतः लेखांकन प्रणाली संक्रिया में इण्टरनेट का व्यापक ऑनलाइन प्रयोग के कारण आती है।सॉफ्टवेयर वाइरस के आक्रमण को रोकने के लिये कोई भी त्रुटिरहित या सुस्पष्ट हल उपलब्ध नहीं है।

5. गलती की जाँच में असमर्थ चूँकि कम्प्यूटर में न्याय करने की क्षमता का अभाव होता है जैसा कि मानव जाति में विद्यमान है ।कम्प्यूटर स्वयं अनिरूपित गलती को ढूंढ़ नहीं सकते हैं।ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सॉफ्टवेयर के प्रोग्राम में पहचान की गई गलतियों का समूह होता है जिसे यह सॉफ्टवेयर पकड़ सकता है।

6. सुरक्षा में दरार कम्प्यूटर से सम्बन्धित अपराधों को खोजना एक कठिन कार्य है, किसी भी डाटा की प्रतिलिपि की सूचना के बिना आगे बढ़ा जा सकता है ।मानवीय लेखांकन प्रणाली में इसे प्रथम दृष्टि में ही साधारण रूप से ही हूँढ़ लिया जाता है ।कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली में धोखाधड़ी और गबन को डाटा या प्रोग्रामों के बदल द्वारा सम्पादित किया जाता है ।लेखांकन अभिलेखों को उपयोगकर्ता के पासवर्ड (Password) की चोरी या अधिकृत जानकारी में फेरबदल कर इसे प्राप्त कर सकते हैं।इसे दूरसंचार की टेपिंग, लाइन टेपिंग अथवा प्रोग्रामों (क्रमादेश) को पुनः खोलकर प्राप्त किया जाता है ।मानवीयकृत प्रणाली में इन कार्यों को सरलता से किया जाता है।

7. स्वास्थ्य पर बीमारी का प्रभाव कम्प्यूटर के व्यापक प्रयोग से कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जैसेकमर दर्द, आँखों में जलन, माँसपेशियों में दर्द ।एक और लेखांकन कर्मचारियों की कार्यदक्षता पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और दूसरी ओर कर्मचारियों के चिकित्सक सम्बन्धी व्यय बढ़ जाते हैं।

See also  वित्तीय विवरण-I

8. सामान्य चेतना की शुन्यताकम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग इस प्रकार से की जाती है कि वह उसके अनुसार निर्णय देता है।यदि हमारे निर्देशों में किसी भी प्रकार की कोई छोटी गलत हो तो परिणामों पर बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।मशीन में यह क्षमता नहीं होती है कि वह स्वतः ही उस छोटी त्रुटि में सुधार कर सही परिणाम उपयोगकर्ता को दे सकें।इसलिए सामान्य चेतना के अभाव के कारण गलत परिणामों की सम्भावनायें रहती हैं।

9. निर्णय लेने की असमर्थता कम्प्यूटर किसी भी प्रकार का निर्णय स्वयं नहीं ले सकता क्योंकि वह उपयोगकर्ता द्वारा प्रोग्राम किए गए निर्देशों के अनुसार कार्य करता है।उसे हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए प्रोग्राम के द्वारा निर्देश देने होते हैं ।कम्प्यूटर में मनुष्यों जैसे स्वयं निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती है।किसी भी प्रकार के छोटे से छोटे निर्णय लेने हेतु कम्प्यूटर को निर्देश देने पड़ते हैं।

10. खर्चीली प्रणाली कम्प्यूटर प्रणाली को व्यवसाय में स्थापित करने के लिए बड़े व्यय करने की आवश्यकता होती है।मेनुअल प्रणाली में होने वाले खर्चे सीमित होते हैं।समयसमय पर सॉफ्टवेयर का नवीनीकरण भी कराना पड़ता है जिससे व्ययों के बढ़ने की सम्भावना रहती है।किसी छोटे व्यापारी के लिए यह खर्च वहन करना सम्भव नहीं होता है।इसके अतिरिक्त कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी करना पड़ता है।

11. सुरक्षा की कमीकम्प्यूटर में संचित किया हुआ डेटा एक व्यवसाय की सारी गुप्त सूचनाओं का समावेश होता है ।कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति उस डेटा को निकाल कर उसका दुरुपयोग कर सकता है।

कम्प्यूटर लेखा प्रणाली की विशेषताओं

1.     सटीकता (Accuracy) –

इसका तात्पर्य कम्प्यूटर द्वारा की गई गणना एवं संक्रिया के सम्पूर्ण स्तर से है।इसे परिशुद्धता भी कहा जा सकता है।उपयोगकर्ता द्वारा की गई गणना की त्रुटियों को कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के माध्यम से कुछ ही समय में शुद्ध कर दिया जाता है ।मेनुअल प्रणाली में इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है ।कम्प्यूटर सभी त्रुटियों एवं अशुद्धियों को शुद्ध करने का कार्य बड़ी तीव्रता से करता है।त्रुटियों के निवारण के बाद परिणामों में सटीकता रहती है।

2.     गति (Speed) –

किसी निश्चित कार्य को करने के लिए कम्प्यूटर द्वारा लिए समय को गति कहा जाता है ।मेनुअल लेखांकन प्रक्रिया में खाताबही बनाने से लेकर तलपट, लाभहानि खाता एवं चिट्ठा बनाने में काफी समय की बर्बादी होती है ।कम्प्यूटर लेखांकन ।के सॉफ्टवेयर द्वारा यह कार्य काफी कम समय में कर दिया जाता है।ऐसा इसके प्रोसेसिंग के कारण होता है।साधारणतः समय की गणना मिनट या सेकण्ड में की जाती है, परन्तु कम्प्यूटर द्वारा समय की गणना सेकण्ड के अंशों तक करने की क्षमता रखता है।

3.     विश्वसनीयता (Reliability) –

कम्प्यूटर द्वारा उपयोगकर्ता को प्रदान की जाने वाली सेवा की निपुणता को विश्वसनीयता कहते हैं।कम्प्यूटर एक मशीन है, जो कि अप्राकृतिक बुद्धिमत्ता के माध्यम से क्रियाशील रहता है ।यह मशीन किसी भी प्रकार के मानवीय भावों से मुक्त होती है, जैसे छलया कपट करना आदि।यह कई घण्टों तक बिना किसी व्यवधान के कार्य कर सकते हैं।इसलिए ये मनुष्यों से ज्यादा विश्वसनीय साबित हुए हैं।प्रोग्रामिंग के तहत दिये गये निर्देशों के अनुसार ही नतीजों की प्रोसेसिंग होती है।

4.     बहुआयामी (Multipurpose) –

कम्प्यूटर विविध प्रकार के कार्य कर सकता है।इसका प्रयोग किसी एक या दो कार्यों के लिए नहीं, वरन् कई कार्यों को एक ही मशीन पर किया जा सकता है।एक साधारण कम्प्यूटर का उपयोग विज्ञान, व्यवसाय, तकनीकी संचार, रक्षा, उद्योग, गवर्नेन्स आदि कई क्षेत्रों के लिए किया जा सकता है ।यह अपनी बहुआयामी क्षमता की वजह से कई कार्यों को कर सकता है ।इसके लिए विशिष्ट कार्यों के लिए उससे सम्बन्धित विशिष्ट प्रोग्रामिंग तैयार की जाती है।उदाहरण के लिए, हम एक कम्प्यूटर पर लेखांकन सम्बन्धी कार्य कर सकते हैं एवं उसी कम्प्यूटर पर कर्मचारियों के पेरोल सम्बन्धी कार्य भी किये जा सकते हैं।उपयोगकर्ता कम्प्यूटर पर ऑन लाइन टिकट, ऑन लाइन क्रयविक्रय, मेल आदि अनेक कार्य कर सकता है।इस प्रकार कम्प्यूटर अपनी क्षमता का पूर्णरूप से उपयोग करता है।

5.     स्वचालन (Automation) –

एक कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली कई बोझिल और समय लगाने वाली मेनुअल प्रक्रियाओं को समाप्त अथवा कम कर देता है।गणना करने के अतिरिक्त यह लेखांकन सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक बटन के क्लिक करने पर ही वर्ष के अन्त में सभी लेखा प्रतिवेदनों को बना सकता है।घण्टों में तैयार होने वाले लेखाबही को सेकण्ड में तैयार कर सकता है ।लेखा प्रक्रिया को स्वचालित करने के अतिरिक्त यह लेखांकन प्रतिवेदनों एवं सूचनाओं को विभिन्न उपयोगकर्ताओं को साझा करने की क्षमता भी रखता है ।लेखांकन सूचनाओं को स्वतन्त्र रूप से अधिकृत उपयोगकर्ताओं द्वारा कम्प्यूटर में प्रविष्टि किया जा सकता है।इसके अतिरिक्त वित्तीय सूचनाओं एवं दस्तावेजों को कुछ ही श्रेणी में मेल किया जा सकता है।

6.     अनुकूलता (Compatibility) –

एक कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली अलगअलग व्यापारिक गतिविधियों के अनुसार कार्य करने की क्षमता रखती है।यह दो व्यवसाय के मध्य सूचनाओं के आदानप्रदान को अनुकूल बनाती है, जैसेयदि दो कम्पनियाँ कम्प्यूटरीकृत प्रणाली का उपयोग करती हैं तो दोनों कम्पनियों के एकीकरण की अवस्था में सभी लेखों को एकदूसरे में समायोजित किया जा सकता है।दो अलगअलग प्रकार के व्यापारों के लिए उस व्यापार के अनुसार लेखांकन के सॉफ्टवेयर तैयार किये जा सकते हैं।

7.     संचयन (Storage) –

कम्प्यूटर कई प्रकार की जानकारियाँ एवं समंकों को अपने स्टोरेज मीडिया के माध्यम से संचय कर सकता है।यह डेटा को फाइलों के माध्यम से संचय करता है।यह फाइल मीडिया, ऑडियोवीडियो, लेख सॉफ्टवेयर आदि की हो सकती है।आवश्यकता पड़ने पर इन समंकों अथवा फाइलों का उपयोग उपयोगकर्ता द्वारा किया जा सकता है।कम्पनी में कई प्रकार के डेटा का संचयन किया जा सकता है, जैसे स्टॉक, वेतन, क्रय, विक्रय, कर आदि के समंकों की संचय करके रखा जा सकता है।कम्प्यूटर में समंकों को स्टोर करना, उसकी स्टोरेज क्षमता पर निर्भर करता है।डेटा के स्टोरेज क्षमता का मापन टीबी (टेरा बाईट), जीबी (गीगा बाईट), केबी (किलोबाईट) द्वारा किया जाता है ।समंकों को संचलन स्टोरेज मीडिया के द्वारा किया जाता है।जैसे कम्प्यूटर में लगी हार्डडिस्क एक स्टोरेज मीडिया है।इसी प्रकार डेटा को पेन ड्राईव, सीडी रोम में भी स्टोर किया जा सकता है।इन सभी समंकों एवं फाइलों को इन्टरनेट के माध्यम से हस्तान्तरित किया जा सकता है ।यदि एक कम्पनी की दो शाखाएँ अलगअलग शहरों में स्थित हैं तो एक शाखा के समंकों को इन्टरनेट के माध्यम से दूसरी शाखा में हस्तान्तरित किया जा सकता है।

कम्प्यूटर लेखा प्रणाली

कम्प्यूटर लेखा प्रणाली (Computer Accounting System) – “कम्प्यूटर लेखा प्रणाली ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा सम्पूर्ण लेखांकन की गतिविधियों को कम्प्यूटर के माध्यम से संचालित किया जाता है।

उपयोगिताएँ इसकी उपयोगिताएँ निम्नलिखित हैं

·        लेखांकन का कार्य तीव्रगति से एवं सटीकता के साथ किया जा सकता है।

·        लेखा समंकों का संचयन किया जा सकता है।

·        बड़े व्यावसायिक संगठन ERP (इण्टरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) पैकेजेज का उपयोग कर सकते हैं।

·        सभी प्रकार के वित्तीय विवरणों की सॉफ्ट कॉपी रखी जा सकती है।

·        खातों का सामूहीकरण प्रारम्भ से ही किया जा सकता है।

·        लेखों को कोड के माध्यम से प्रविष्ट किया जा सकता है।

·        वित्तीय लेखों की सुरक्षा रहती है।

·        लेखांकन प्रतिवेदनों के प्रिन्ट आउट लिए जा सकते हैं।

मेनुअल लेखा प्रणाली एवं कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली में अन्तर

1.     मानवीय लेखा प्रणाली के तत्व (Elements of Manual Accounting System)

·        लेनदेन वाले वित्तीय व्यवहारों की पहचान मेनुअल रूप से होती है।

·        लेनदेन का रिकार्ड एवं उनकी पुनः प्राप्ति मूल प्रविष्टियों की पुस्तकों से प्राप्त होती है।

·        लेनदेन की प्रविष्टि सर्वप्रथम जर्नल में की जाती है, उसके बाद उसे बही खातों में पोस्ट किया जाता है।इस प्रकार वित्तीय लेनदेन को दो बार दर्ज किया जाता है।

·        खाताबही बनाने के बाद खातों का संक्षिप्तीकरण करने हेतु तलपट तैयार किया जाता है।

·        तलपट के माध्यम से अन्तिम खाते तैयार किये जाते हैं, जिसमें लाभहानि खाता एवं चिट्ठा बनाया जाता है।

·        यदि किसी प्रकार की प्रविष्टियों या खाताबही में गलतियाँ रह जाती हैं तो उसमें सुधार हेतु समायोजन किये जाते हैं।इसके लिए त्रुटियों में प्रविष्टियों द्वारा किये जाते हैं।

·        वर्ष के अन्त में लेखा खातों को बन्द कर दिया जाता है एवं उनके खाता शेष को अगले साल हस्तान्तरित कर दिया जाता

2. कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली (Computerized Accounting System)

·        लेनदेन वाले वित्तीय व्यवहारों की पहचान कम्प्यूटर द्वारा स्वचालित पूर्व निर्धारित प्रोग्रामिंग के द्वारा की जाती है।

·        वित्तीय व्यवहारों को डेटाबेस के माध्यम से रिकार्ड किया जाता है।

·        संग्रहित किया हुआ डेटा खाताबही में अपने आप प्रोसेस हो जाता है।

·        तलपट बनाने के लिए खाताबही की जरूरत नहीं पड़ती है।हर प्रविष्टि स्वतः ही खाता बही शेष निकाल सकती है।हर प्रविष्टि के बाद खाताबही शेष स्वतः ही तैयार हो जाता है।

·        अन्तिम खाते, जैसेलाभहानि खाता एवं चिट्ठा प्रविष्टियों के बाद ही बन जाता है।इसका कारण यह है कि कोई भी प्रविष्टि सीधे प्रोसेस होकर अन्तिम खाते बनाने के लिए तलपट पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।

·        त्रुटि सुधार के लिए किसी प्रकार की मेनुअल प्रविष्टि दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है।वाउचर के माध्यम से त्रुटि सुधार स्वतः ही हो जाता है।

·        प्रारम्भिक एवं अन्तिम खाता शेष डेटाबेस में जमा हो जाते हैं।

लेखांकन प्रतिवेदन

लेखांकन प्रतिवेदन (Accounting Report)-किसी भी व्यापारिक संस्था एवं व्यावसायिक संगठन में समस्त वित्तीय लेनदेन, स्कन्ध एवं सम्पत्तियों का मूल्यांकन, भण्डारण, कर्मचारियों के वेतन आदि का हिसाब लेखांकन प्रतिवेदन कहलाता है ।एक इकाई के संचालन के निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए यह आवश्यक है।

उदाहरण

 

Employee Earning Report

लेखांकन में कम्प्यूटर के योगदान

  • लेखांकन का कार्य तीव्रगति से एवं सटीकता के साथ किया जा सकता है।
  • लेखा समंकों को संचयन किया जा सकता है।
  • बड़े व्यावसायिक संगठन ERP (इण्टरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) पैकेजस का उपयोग कर सकते हैं।
  • सभी प्रकार के वित्तीय विवरणों की सॉफ्ट कॉपी रखी जा सकती है।
  • खातों का समूहीकरण प्रारम्भ से ही किया जा सकता है।
  • लेखों को कोर्ड के माध्यम से प्रविष्ट किया जा सकता है।
  • वित्तीय लेखों की सुरक्षा रहती है।
  • लेखांकन प्रतिवेदनों के प्रिन्ट आउट लिए जा सकते हैं।

कम्प्यूटर सम्बन्धित विभिन्न सूचना

प्रबन्ध सूचना प्रणाली (Management Information System)–एक व्यावसायिक प्रणाली का प्रबन्धन उसके द्वारा लिये गये निर्णयों पर आधारित होता है।यह निर्णय समय पर प्राप्त होने वाली सूचनाओं पर आधारित होते हैं।एक व्यवसाय की सूचना प्रणाली जितनी सुदृढ़ होगी, वहाँ निर्णयों में उतनी ही सटीकता एवं पारदर्शित रहेगी।यह सब एक कुशल प्रबन्धन सूचना प्रणाली द्वारा सम्भव है।प्रबन्धन सूचना प्रणाली वह प्रणाली है, जो एक संस्था की बाकी प्रणालियों का आधार तैयार करती है।लेखांकन सूचना प्रणाली में सूचनायें समयानुकूल सटीक तथा व्यवस्थित होती हैं।अन्य शब्दों में, प्रबन्धन सूचना प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है, जो निर्णय लेने एवं किसी व्यवसाय के सुचारु रूप से प्रबन्धन के लिए जरूरी सूचना तैयार करती है।लेन-देन परितन्त्र लेन-देन वृत्त में खरीद बही

विक्रेता/सप्लायर कीअग्रिम सूची को बढ़ाना, खाते की देनदारी आदि सभी कुछ होती है।वे सभी सूचनायें प्रबन्ध सूचना प्रणाली संस्था के अन्य विभागों को वितरित करता है।अतः यह निर्णय लेने वाले व्यक्तियों को जरूरी वित्तीय डेटा की सूचना देता है जो कि. कम्प्यूटरीकृत सूचना प्रणाली का एक उप भाग है।इस विवरण की माँग नियमित अथवा विशिष्ट भी हो सकती है।संस्था के दीर्घकालीन नीतिगत लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने में यह प्रणाली सहयोग करती है।प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली को मुख्य रूप से निम्न बिन्दुओं में परिभाषित किया जा सकता है

एक एकीकृत यूजर मशीन सिस्टम है।

सूचना उपलब्ध कराती है।

प्रबन्ध संचालन विश्लेषण

व्यवसाय द्वारा उपयोग।

लेखांकन सूचना प्रणाली (Accounting Information System)–लेखांकन में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेखा सूचना प्रणाली कहते हैं।इसके माध्यम से कम्प्यूटर का प्रयोग वित्तीय लेखांकन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों, जैसे—कर, अंकेक्षण, बजटिंग आदि।इन सभी क्षेत्रों की सूचनाओं का उपयोग प्रबन्धकीय निर्णयों के लिए किया जाता है ।लेखांकन सूचना प्रणाली अन्य क्रियाशील सूचना प्रणालियों के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान करती है।इस प्रणाली में संस्था द्वारा किये गये व्यवसाय का सामूहिक क्रमबद्ध लेखा-जोखा होता है।जैसे व्यवसाय द्वारा किसी माल के विक्रय का उसका बीजक बनाना, विक्रय आदेश लेना एवं उसका क्रियान्वयन करना, स्टॉफ की स्थिति, परिवहन की स्थिति,कर्मचारियों का वेतन आदि।लेखांकन सूचना प्रणाली के अन्तर्गत वित्त से सम्बन्धित सभी सूचनाओं का उच्च प्रबन्ध से लेकर मध्य एवं निचले प्रबन्धन तक आदान-प्रदान किया जा सकता है।इस प्रणाली के द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में आर्थिक सूचना को अनेक प्रकार के उपयोगकताओं के लिए पहचान संग्रह एवं प्रक्रम तैयार करती है।वित्तीय सूचनाओं से सम्बन्धित डेटा इस तरह से व्यवस्थित होते हैं कि उनका उपयोग कर सही निर्णय लिया जा सके।इसके अतिरिक्त लेखांकन सूचना प्रणाली समस्त संसाधनों का एक मिश्रण है, जिससे वित्तीय एवं अन्य डेटा को सूचना में परिवर्तित करने के लिए डिजाइन किया गया है।यह सूचनाएँ विभिन्न प्रकार के उपयोगकर्ताओं एवं निर्णयकर्ताओं को उनकी सुविधानुसार प्रदान की जाती है ।इस प्रणाली का प्रयोग इस बात की सुनिश्चितता प्रदान करता है, विभिन्न प्रकार के वित्तीय लेन-देन एवं सौदों का नियन्त्रण किया जा सके।कम्प्यूटर के प्रयोग के साथ, इस प्रणाली में तीव्रता से सूचनाओं का आदान-प्रदान करना एवं सुविधानुसार वित्तीय प्रतिवेदनों को निकालना है।प्रबन्धन निर्णय लेने के लिए जानकारी का उपयोग करने के लिए उस जानकारी को सही तरह से प्रबन्धन करना चाहिए।अतः सूचना प्रबन्धन में शामिल है।

जरूरी जानकारी निर्धारित करना,

जानकारी एकत्रित करना और उसका विश्लेषण करना,

जानकारी को भण्डारित करना और जब जरूरत हो, पुनः प्राप्त करना,

उपयोग करना और जानकारी को फैलाना।

लेखांकन के सॉफ्टवेयर पैकेजेस

लेखांकन सॉफ्टवेयर जिन्हें लेखांकन पैकेज भी कहते हैं, निम्न प्रकार के होते हैं

  1. उपयोग के लिए तैयार सॉफ्टवेयर (Ready to Use Software) – इनका निर्माण किसी विशेष उपयोगकर्ता के अनुसार नहीं किया जाता है।यह छोटे व्यापारियों के लिए उपयोगी सॉफ्टवेयर है, जिनके बहुत कम मात्रा में व्यवहार होते हैं।इनमें गोपनीयता का अभाव होता है परन्तु यह सीखने में सरल तथा कम खर्चीले होते हैं।इसका प्रशिक्षण सरल होता है और प्रशिक्षण लागत भी नहीं लगती क्योंकि विक्रेता स्वयं ही बिना किसी लागत की प्राप्त किये प्रशिक्षण दे देता है।इनका सम्बन्ध दूसरी सूचना प्रणाली से सामान्यतया नहीं होता है।इस समय बाजार में लोकप्रिय प्रक्रिया सामग्री में टेली (Tally) है।इस सॉफ्टवेयर में धोखे की सम्भावना अधिक रहती है।क्योंकि गोपनीयता निम्न स्तर की रहती है।
  2. व्यवस्थित सॉफ्टवेयर (Customized Software) – यह मध्यम एवं बड़े व्यापारियों के लिए उपयोगी होती है।इनकी स्थापना एवं देखरेख की लागत अधिक आती है क्योंकि तैयार सॉफ्टवेयर में उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करना पड़ता है।इसमें गोपनीयता बढ़ जाती है तथा अधिकृत व्यक्ति ही इसका उपयोग कर सकता है।वे सब सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के कारण उपयोगकर्ता के प्रशिक्षण तथा बिक्री के बाद की सेवा की लागते अधिक आती हैं।
  3. आवश्यकतानुसार या उपयुक्त सॉफ्टवेयर (Tailored Software) – यह पूर्णतया उपयोग करने वाले के निर्देशों के अनुरूप ।तैयार किया जाता है।इसकी माँग बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में होती है जो भौगोलिक रूप से दूर-दूर विभिन्न स्थानों पर होते हैं।इसके उपयोगकर्ता अधिक होते हैं, और बिना उचित प्रशिक्षण के इनका उपयोग नहीं किया जा सकता है।प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली में इनका | महत्वपूर्ण योगदान रहता है।इनमें गोपनीयता, अधिकृतता या प्रामाणिकता की जाँच करने के लिए एक सुदृढ़ पद्धति होती है।

लेखा प्रतिवेदन तैयार करने की प्रक्रिया

  • प्रतिवेदनों के उद्देश्य निर्धारित करना ।
  • प्रतिवेदनों के उपयोगकर्ता निर्धारित करना ।
  • समंकों एवं प्रतिवेदनों का ढाँचा तैयार करना ।
  • डेटा बेस सम्बन्धित क्वेरी तैयार करना ।
  • प्रतिवेदनों को अन्तिम रूप देना ।

प्रबन्यकीय सूचना प्रणाली का प्रमुख कार्य

प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली का प्रमुख कार्य एक संस्था के विभिन्न उपयोगकर्ताओं को कम्प्यूटर के माध्यम से सूचनाओं को प्रदान करता है।इन सूचनाओं द्वारा प्रबन्धकीय निर्णय लेने में सहायता मिलती है।इस प्रकार की प्रणाली में कई विभागों एवं क्रियाशील क्षेत्रों में समन्वय स्थापित करना पड़ता है।इसका कारण यह है कि किसी एक ही विभाग या क्रियाशील क्षेत्र को सूचना के आधार पर सम्पूर्ण व्यावसायिक संगठन के बारे में निर्णय नहीं लिया जा सकता ।इसमें हर विभाग या क्रिया की अपनी एक अलग सूचना प्रणाली तैयार की जाती है, जिसे उप-अव्यय (Sub-Component) कहते हैं।

कम्प्यूटरीकृत लेखांकन पद्धति की मूल संरचना

कम्प्यूटरीकृत लेखांकन पद्धति की मूल संरचना (Structure of Computerized Accounting System)

कम्प्यूटरीकृत लेखा पद्धति प्रमुख रूप से एक संगठित प्रणाली है जिसके माध्यम से लेखा निर्णय लिये जाते हैं।इस प्रणाली के अन्तर्गत सर्वप्रथम लेखा से सम्बन्धित विभिन्न डेटा को एकत्र किया जाता है।एक सुदृढ़ कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली की संरचना को निम्न बिन्दुओं से समझा जा सकता है–

  1. लेखांकन आँचा (Accounting Framework) – यह कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली को लागू करने के लिए वातावरण तैयार करती है।यह लेखांकन की आधारभूत संरचना को तैयार करती है।इसमें लेखांकन के सिद्धान्तों, प्रक्रियाओं, डेटा बेस, डेटा एवं खातों का वर्गीकरण आदि के मिश्रण को तैयार किया जाता है।डेटा इनपुट की प्रक्रिया, डेटा की प्रोसेसिंग, यूजर के अनुसार परिणाम, प्रतिवेदनों के प्रारूप आदि को निश्चित किया जाता है।
  2. संचालन प्रक्रिया (Operating Procedure) – एक अच्छी तरह से परिकल्पना की गई संचालन प्रक्रिया एवं उसके साथ एक उपयुक्त लेखांकन के संचालन का वातावरण कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के लिए अति आवश्यक है।एक कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली कम्प्यूटरीकृत लेखांकन का डेटाबेस उन्मुख अनुप्रयोगों में से एक है।लेन-देन से सम्बन्धित डेटा संग्रहित किया जाता है।उपयोगकर्ता आवश्यक इंटरफेस का उपयोग कर डेटाबेस से लेखांकन सम्बन्धित सूचनाओं एवं प्रतिवेदनों को प्राप्त कर सकता है एवं ।उनका संग्रहण कर सकता है।इसलिए कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के मूल सिद्धान्तों में डेटाबेस उन्मुख अनुप्रयोग की मूल आवश्यकताएँ ही सम्मिलित होती हैं।
  3. लेखांकन क्वेरी (Accounting Query) – कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी प्राप्त करने के लिए क्वेरी का उपयोग किया जाता है ।क्वेरी एक प्रश्न है, जो किसी निश्चित सूचना को प्राप्त करने के लिए सॉफ्टवेयर के माध्यम से डेटाबेस में डाली जा सकती है।उदाहरण के लिए; एक लेखाकार या उपयोगकर्ता को उन सभी देनदारों या उपभोक्ताओं की पहचान करनी है, जिन्होंने क्रेडिट सीमा की अवधि के भीतर भुगतान नहीं किया है तो इस प्रकार की सूचना को स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लेंगुएज के माध्यम से ज्ञात किया जा सकता है।इस प्रकार की सुविधा मानवीय लेखांकन पद्धति में सम्मिलित नहीं होती है ?
  4. डेटा एवं सूचनाएँ (Data & Information) – सर्वप्रथम कम्प्यूटर लेखा प्रणाली सम्पूर्ण रूप से लेन-देन की सूचनाओं पर निर्भर करती है।यह एक व्यवसाय में सूचनाओं के माध्यम से निर्णय लेने की प्रणाली है।यह एक संगठित एवं सुव्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से उपयोगकर्ता को लेखांकन से सम्बन्धित निर्णय लेने एवं लेखे तैयार करने की सुविधा प्रदान करता है।सर्वप्रथम लेखांकन से सम्बन्धित आँकड़ों को एकत्र किया जाता है।तत्पश्चात् उनका वर्गीकरण कर आँकड़ों को ऐडिट किया जाता है।यह प्रक्रिया आँकड़ों को अनुकूल सूचनाओं में रूपान्तरित करती है।डेटा क्रय, विक्रय, आय-व्यय, लेनदार-देनदार, सम्पत्ति आदि से सम्बन्धित होते हैं।यह डेटा विभिन्न विभागों द्वारा एकत्र कर एक मास्टर फाइल तैयार की जाती है ।डेटा को एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से काम में लिया जाता है ।एक व्यावसायिक संगठन की आवश्यकतानुसार सॉफ्टवेयर पैकेज बनाए जाते हैं।यह सॉफ्टवेयर लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के माध्यम से संचालित होता है ।इस प्रणाली में डेटा को सूचनाओं से परिवर्तित करने हेतु सभी सूचनाओं को शुद्ध, पूर्ण एवं अधिकृत किया जाता है।यह प्रणाली इनपुट प्रोसेसिंग एवं आउटपुट पर आधारित होती है।सही सूचनाओं के रूप में सटीक निर्णय लेने के लिए, सही प्रकार के डेटा का इनपुट के तौर पर निर्धारण करना आवश्यक होता है।
  5. कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रक्रिया (Computerized Accounting Process) – यह प्रक्रिया लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के माध्यम से संचालित होती है।यह प्रणाली व्यापार में होने वाले लेन-देन (Transactions) को रिकार्ड, प्रोसेस, वैध एवं संग्रहण करने का कार्य करती है ।यह लेन-देन कारोबार की प्रक्रियाओं, जैसे क्रय-विक्रय, बिलिंग, उत्पादन, पेरोल आदि से सम्बन्धित होते हैं।यह लेन-देन आन्तरिक अथवा बाह्य हो सकते हैं।जब उत्पादन विभाग,कच्चे माल की खरीद के लिए क्रय विभाग को निवेदन करता है, या एक विक्रय केन्द्र से दूसरे विक्रय केन्द्र में माल का हस्तान्तरण होता है तो इसे आन्तरिक लेन-देन की परिभाषा में लिया जायेगा।जब विक्रय विभाग, किसी ग्राहक को माल बेचता है तो यह बाह्य लेन-देन है ।सामान्यतः वित्तीय लेखा विभाग का लेखा बाहर के लेन-देन से ही सीमित रहता है ।

कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के प्रमुख लाभ

  1. परिशुद्धता (Error less) – गलतियाँ कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली में विलुप्त हो जाती हैं क्योंकि प्रारम्भिक लेखांकन डेटा को एक बार में प्रविष्ट कर दिया जाता है फिर इनका उपयोग लेखांकन विवरणों को तैयार करने में किया जाता है।मानवीय लेखांकन प्रणाली में गलतियों की सम्भावना होती है क्योंकि विभिन्न लेखांकन प्रलेखों को तैयार करने के लिये समंकों को कई बार समान प्रविष्टियों के लिये प्रयोग में लाया जाता है ।कम्प्यूटर पूर्ण शुद्धता से लेखा सम्बन्धी कार्य करता है।इसके द्वारा त्रुटियों की सम्भावनाएँ न्यून स्तर पर रहती हैं।
  2. अद्यतन सूचना (Automated Information) – लेखांकन अभिलेख कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली में स्वतः ही अद्यतन हो जाते हैं अतः नवीनतम जानकारी के लिये खातों के विवरणों को तैयार कर उनका मुद्रण कर लिया जाता है।उदाहरण के लिए; जब लेखांकन डाटा में सामान की खरीद पर नगद भुगतान को प्रविष्ट कर भण्डारित किया खाता,नगद खाता,क्रय खाता, और अन्तिम खाता (व्यापार, लाभ व हानि खाता) पर इन सौदों का प्रभाव तुरन्त ही प्रदर्शित हो जाता है ।कम्प्यूटर लेखों का प्रभाव प्राथमिक प्रविष्टि के तुरन्त बाद ही हो जाता है।इसमें खाताबही या तलपट में दोबारा प्रतिलिपि प्रविष्टियाँ करने की आवश्यकता नहीं रहती है।किसी भी तिथि .. तक के प्रलेखों का विवरण हर समय तैयार मिलता है।
  3. डेय का आदानप्रदान (Import Export of Data) – लेखांकन प्रणालियों के आपस में सम्बन्ध होते हैं।लोकल एरिया नेटवर्क के माध्यम से डेटा को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर शेयर किया जा सकता है।इससे विभिन्न उपयोगकर्ताओं के पास एक ही समय में कई सूचनाएँ होती हैं जिन्हें वे आपस में उपलब्ध कराते हैं।
  4. दस्तावेजों को तैयार करना (Preparation of Documents) – अधिकतर कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के मापदण्ड होते हैं जो उपयोगकर्ता की आवश्यकतानुसार लेखांकन प्रतिवेदन को स्वतः ही तैयार कर देता है ।लेखांकन प्रतिवेदन एक रोकड़ पुस्तक, तलपट, खाते के वर्णन को केवल माउस द्वारा क्लिक मात्र से प्राप्त हो सकता है।
  5. सुपाठ्य (Clarity) – कम्प्यूटर के मॉनीटर पर डाटा जब आता है तो वह सुपाठ्य होता है क्योंकि टाइपिंग के मानक़ फॉन्ट लिये गये हैं।ये मानवीय लेखांकन प्रणाली में संख्याओं को हाथ से लिखने की प्रक्रिया द्वारा होने वाली गलती को खत्म करता है।
  6. प्रतिवेदन (Reports) – कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली प्रबन्धन के लिये सूचनाएँ तुरन्त प्रभाव से उपलब्ध कराता है जो व्यापार के प्रबन्धन व नियन्त्रण के लिये कारगर साबित होता है।देनदारों का विश्लेषण धन डूबने की सम्भावना (डूबत ऋणों) को अंकित करता है।उदाहरण के लिए, यदि किसी कम्पनी की निजी उधार विक्रय की अधिकतम राशि पर प्रतिबन्ध लगाती है तो यह जानकारी तुरन्त कम्प्यूटर पर उपलब्ध होगी जब कि प्रत्येक प्रमाणक डाटा प्रविष्टि आलेख द्वारा प्रवेशित होगा।जबकि इस गलती को ढूँढ़ने के लिये मानवीय लेखांकन प्रणाली में समय लग जाता है ।सुस्पष्ट जानकारी भी प्राप्त नहीं हो सकती है।
  7. भण्डारण एवं पुनः प्राप्ति (Storage and Access) – कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली एक पद्धति के अनुरूप डाटा को, भण्डारित करती है।इसके लिये वस्तुतः ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं होती है।ऐसा इसलिये होता है क्योंकि हार्डडिस्क, सी. डी. रोम, फ्लॉपी आदि बहियों की तुलना में बहुत कम जगह लेती हैं।इसके अतिरिक्त डाटा एवं सूचनाओं को अति शीघ्र प्राप्त कर सकते हैं।
  8. प्रोत्साहन और कर्मचारियों का हित (Motivation and Benefits to Employees) – कम्प्यूटर प्रणाली में कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है जिससे वे अपने आपको अधिक मूल्यवान मानने लगते हैं।ये प्रोत्साहन उनकी नौकरी में रुचि को बनाये रखता है जबकि वे इसका विरोध भी उत्पन्न करते हैं।जब मानवीय लेखांकन प्रणाली से कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली में इसे बदला जाता है।
See also  तलपट एवं अशुद्धियों का शोधन

NCERT SOLUTIONS

प्रश्न

लघुउत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न1: कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंगों (elements) का वर्णन करें।

उत्तर – कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंग/घटक/तत्व (Various Elements of Computer System): एक कम्प्यूटर प्रणाली के छः घटक होते हैं

  1. यंत्र सामग्री हार्डवेयर
  2. प्रक्रिया सामग्री (सॉफ्टवेयर):
  • प्रचालन प्रणाली
  • उपयोगिता क्रमादेश
  • अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री
  • भाषा संसाधक
  • प्रक्रिया सामग्री प्रणाली
  • संयोजक प्रक्रिया सामग्री।
  1. उपयोगकर्ता:
  • प्रणाली विश्लेषक
  • क्रमादेशक (प्रोग्रामर)
  1. क्रियाविधियाँ
  2. डाटा
  3. संयुक्तिकरण।

प्रश्न 2: मानवीय प्रणाली पर कम्प्यूटर प्रणाली की विशिष्ट उपयोगिता को सूचीबद्ध करें।

उत्तर – मानवीय प्रणाली पर कम्प्यूटर प्रणाली की विशिष्ट उपयोगिता निम्न प्रकार स्पष्ट है:

  • कम्प्यूटर प्रणाली मानवीय प्रणाली से तीव्र गति से होती है।
  • कम्प्यूटर प्रणाली में त्रुटियों की संभावना न के बराबर होती है।
  • कम्प्यूटर प्रणाली में समय की अत्यधिक बचत होती है।
  • कम्प्यूटर प्रणाली में परिणाम परिष्कृत होते हैं।
  • कम्प्यूटर प्रणाली में थकान का अभाव होता है।
  • एक बार दिशा-निर्देश देने के बाद सिर्फ Input नम्बर देने पड़ते हैं।बाकी सारी गणनाएँ कम्प्यूटर स्वतः ही लेता है।
  • कम्प्यटर प्रणाली में बहत से कार्य एक साथ हो जाते हैं।
  • कम्प्यूटर प्रणाली में बहुत अधिक संचयन क्षमता होती है।
  • कम्प्यूटर पर किये हुए कार्य में दोहराव न होने की वजह से यह संक्षिप्त रूप में होता है।
  • कम्प्यूटर प्रणाली में किये हुए कार्य में सुधार हो सकता है जबकि मानवीय प्रणाली में सुधार की गुंजाइश नहीं होती।

प्रश्न 3: कम्प्यूटर के मुख्य अंगों को चौकोर खाने में दर्शाते हुए रेखांकित करें।

उत्तर –

प्रश्न 4: लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन उदाहरण दीजिए।

उत्तर – लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन उदाहरण हैं:

  1. विक्रय आदेश प्राप्ति एवं पूरा करना
  2. कर्मचारियों को वेतन भुगतान
  3. बैंक के ग्राहक द्वारा ए.टी.एम. से पैसे निकालना।

प्रश्न 5: सूचना व निर्णय के बीच संबंध का वर्णन करें।

उत्तर – सूचना व निर्णय के बीच महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है।संगठन के किसी भी कार्य के लिए सूचना एक महत्त्वपूर्ण साधन है।संगठन का सूचना विभाग संगठन के प्रबंधक या प्रबन्ध समिति को महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ उपलब्ध कराता है, जिसके आधार पर ही उनके द्वारा महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये जाते हैं।इस प्रकार सूचना, निर्णय का आधार होती है।

प्रश्न 6: लेखांकन सचना प्रणाली क्या है?

उत्तर – लेखांकन सूचना प्रणाली-लेखांकन सूचना प्रणाली किसी संस्था विशेष की वित्तीय सूचनाओं को इकट्ठा करने, उन पर आधारित गणनाएँ करके रुचि रखने वाले पक्षों तक पहुँचाने वाली प्रणाली है।

यह प्रणाली लेखांकन कार्य करने के साथ-साथ व्यवसाय के सम्मुख आने वाली विभिन्न कठिनाइयों को हल करने के लिए वैकल्पिक उपाय एवं रिपोर्ट भी उपलब्ध कराती है।

प्रश्न 7: लेखांकन प्रतिवेदन के विभिन्न लक्षणों का वर्णन करो।

उत्तर – लेखांकन प्रतिवेदन के लक्षण:

  1. प्रासंगिकता: रिपोर्ट विषय के अनुरूप ही होनी चाहिए।
  2. समयबद्धता: प्रतिवेदन योजनानुसार निर्धारित समय के भीतर बनकर प्रस्तुत होना चाहिए।
  3. परिशुद्धता: रिपोर्ट में प्राप्त परिणाम शुद्ध होने चाहिए।
  4. पूर्णता: प्रतिवेदन विषय की बारीकी के अनुसार पूर्ण होनी चाहिए अथवा गलत परिणाम भी मिल सकते हैं।
  5. प्तिता: प्रतिवेदन संक्षिप्त होना चाहिए।अनावश्यक लेखा प्रतिवेदन प्रायः भ्रमित करने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 8: लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन अंगों के नाम बताइए।

उत्तर – लेन-देन प्रक्रम प्रणाली सबसे पहली कम्प्यूटरीकृत प्रणाली है जो कि बड़ी से बड़ी कारोबारी कम्पनियों की आवश्यकताओं को पूरा करती है।लेन-देन प्रक्रम प्रणाली प्रत्येक संस्था की आन्तरिक तथा बाह्य सूचनाओं से सम्बन्ध रखती है तथा समस्याओं को हल करने के लिए इसमें विशिष्ट प्रकार से क्रम की व्यवस्था की गई है।

लेन देन प्रक्रम प्रणाली के तीन अंगों के नाम निम्न प्रकार हैं:

  1. निवेश (Input)
  2. संसाधन (Process)
  3. निर्गम (Output)।

प्रश्न 9: मानव संसाधन सूचना प्रणाली व प्रबंधन सूचना प्रणाली के बीच संबंध का उदाहरण दें।
उत्तर – प्रबन्धन सूचना प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जो निर्णय लेने एवं किसी संस्था के सुचारु रूप से प्रबंधन के लिए जरूरी सूचना तैयार करती है।किसी संगठन में प्रबंधन सूचना प्रणाली एवं मानव संसाधन सूचना प्रणाली में भी सम्बन्ध पाया जाता है।उदाहरण के लिए, संस्था का उत्पादन विभाग मानव संसाधन विभाग से मजदूरों का ब्यौरा लेकर उनके द्वारा उत्पादन प्राप्त करने की जानकारी मानव संसाधन विभाग व लेखा विभाग को भेजता है ताकि उनका पारिश्रमिक देय हो।

लेखांकन विभाग द्वारा देय पारिश्रमिक का विवरण उत्पादन विभाग व मानव संसाधन विभाग को दिया जाता है ताकि मजदूरों की कार्यशैली पर नजर रखी जा सके।मानव संसाधन विभाग उन मजदूरों की अच्छी व खराब कार्यशैली की जानकारी अन्य विभाग को देता है।इन जानकारियों के आधार पर प्रबंधन सूचना प्रणाली प्रबन्धन के लिए आवश्यक सूचना तैयार करती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1: “एक संस्था पारस्परिक निर्णयों का समूह है, जो कि एक संस्थागत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है।” इस कथन के अनुसार सूचना एवं निर्णय के बीच संबंध को समझाइये।

उत्तर – सूचना एवं निर्णय के बीच सम्बन्ध: “एक संस्था पारस्परिक निर्णयों का समूह है, जो कि अपने संस्थागत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है।” किसी भी संस्था में अनेक प्रणालियाँ कार्य करती हैं जो समूह के रूप में अपने उद्देश्यों को पूरा करने हेतु मिल-जुलकर कार्य करती हैं।इसके लिए ये सूचनाएँ एकत्रित करती हैं और प्रबंधन तक पहुँचाती हैं ताकि महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये जा सकें ।अतः सूचनाएँ, निर्णयों का आधार होती हैं।प्रत्येक संगठन की विभिन्न प्रणालियाँ कुछ सूचनाओं को प्राप्त कर उसे अपने अनुकूल रूपान्तरित कर देती हैं जिससे वह एक महत्त्वपूर्ण सूचना का रूप ले लेती हैं।

प्रत्येक संगठन के कुछ उद्देश्य होते हैं जिनके आधार पर वह संसाधनों का बंटवारा करता है और निरन्तर कार्य करता रहता है।संगठन का प्रबंधन, प्रबंधक द्वारा लिये गये निर्णयों से अपने उन उद्देश्यों को प्राप्त करता है।संगठन के कार्यकारी संसाधनों को बाँटने में सूचनाएँ एवं जानकारियों से मदद मिलती है।अतः संगठन के किसी भी कार्य के लिए सूचना एक महत्त्वपूर्ण साधन है।हर छोटे-बड़े संगठन के पास स्वयं द्वारा स्थापित सूचना विभाग होता है जो कि संगठन के प्रबंधक या प्रबंध समिति द्वारा लिये जाने वाले निर्णय के लिए महत्वपूर्ण सूचनाओं का प्रबंध करता है।

संगठन के सूचना विभाग में होने वाली बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप लेन-देन प्रक्रम प्रणाली भी अब कारोबार संक्रिया के लिए महत्त्वपूर्ण हो गया है।प्रत्येक लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन अंग होते है-निवेश, संसाधन, और निर्गम।चूंकि सूचना प्रौद्योगिकी गारबेज इन गारबेज आऊट का अनुसरण करती है, इसलिए आवश्यक है कि सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सभी सूचनायें शुद्ध, पूर्ण एवं अधिकृत हो।निर्गम को स्वचालित करने से इसे प्राप्त किया जा सकता है।अब निर्गम प्रक्रिया को स्वचालित करने के लिए विभिन्न युक्तियाँ मौजूद हैं।इस प्रकार संगठन एक पारस्परिक निर्णय लेने वाली प्रणालियों का समूह है जो कि अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कार्य करता है।

प्रश्न 2: संस्थागत प्रबंधन सचना प्रणाली और अन्य क्रियाशील सचना प्रणाली के मध्य एक संस्था में सम्बन्ध को उदाहरण देकर स्पष्ट करो।लेखांकन सूचना प्रणाली व प्रबंधन सूचना प्रणाली की क्रियाओं में सूचनाओं के होने वाले आदान-प्रदान का वर्णन करें।

उत्तर – संस्थागत प्रबंधन सूचना प्रणाली और अन्य क्रियाशील सूचना प्रणाली के मध्य सम्बन्ध-प्रबन्धन सूचना प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जो निर्णय लेने एवं किसी संस्था के सुचारु रूप से प्रबन्धन के लिए जरूरी सूचना तैयार करती है।इसके लिए वह अन्य क्रियाशील सूचना प्रणालियों से आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त करती है।उदाहरण के लिए, प्रबंधन द्वारा लेखांकन सूचना प्रणाली का प्रयोग अनेक स्तरों पर किया जाता है-संचालन, कौशल एवं सामरिक।

लेखांकन सूचना प्रणाली किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में आर्थिक सूचना को अनेक प्रकार के उपभोक्ताओं के लिये पहचान, संग्रह एवं प्रक्रम तैयार करती है और उसे दूसरों तक पहुँचाती है।सूचना उपयोगी डाटा इस तरह से व्यवस्थित होते हैं कि उसकी मदद से सही निर्णय लिया जा सके।एक प्रणाली अन्योन्याश्रित अंगों से बनी होती है जो एक-दसरे के लिये निरंतर एवं सचेत आदान-प्रदान में सक्षम हैं ताकि इच्छित उददेश्य प्राप्त किया जा प्रत्येक लेखा प्रणाली लेखांकन सूचना प्रणाली का निश्चित रूप से एक अंग है जो दूसरे शब्दों में संस्था की प्रबंध सूचना प्रणाली का एक अंग है।

निम्नलिखित आरेख परिकलन प्रणाली का अन्य कार्यशील प्रबंध सूचना प्रणालियों के साथ उसके संबंध को दर्शाता है

ऊपर दर्शाये गये चित्र में प्रबंधन के चार बहुप्रचलित कार्यक्षेत्र बताये गये हैं।संस्था, एक आपूर्तिकर्ता एवं उपभोक्ता द्वारा घिरे एक दिए हुए माहौल में काम करती है।सूचना संबंधी जरूरतें व्यावसायिक प्रक्रियाओं से निकलती हैं जो विभिन्न कार्यक्षेत्रों में बँटी होती हैं जहाँ लेखांकन उनमें से एक है।लेखांकन सूचना प्रणाली संस्थागत प्रबंधन सूचना प्रणाली की विभिन्न उपप्रणालियों के साथ सूचना का आदान-प्रदान करता है।

लेखांकन सूचना प्रणाली संसाधनों एवं उपकरण का एक संग्रह है जिसे वित्तीय एवं अन्य डाटाओं को सूचना में परिवर्तित करने के लिए डिजाइन किया गया है।यह सूचना विविध प्रकार के निर्णयकर्ताओं को प्रदान की जाती है।प्राप्त करने वाली सूचना प्रणालियाँ इस परिवर्तित कार्य को पूरा करती हैं चाहे वे मानवीय प्रणाली हों या पूर्ण कम्प्यूटरीकृत।

लेखांकन सूचना प्रणाली व प्रबंधन सूचना प्रणाली की क्रियाओं में सूचनाओं का होने वाला आदान प्रदान-लेखांकन सूचना प्रणाली किसी भी संस्था की एक महत्त्वपूर्ण प्रणाली है।यह प्रबन्ध सूचना प्रणाली के लिए अन्य क्रियाशील प्रणालियों से सूचनाओं का आदान-प्रदान करती है।इसे निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

(1) लेखांकन सूचना प्रणाली, विनिर्माण सूचना प्रणाली व मानव संसाधन सूचना प्रणाली-संगठन का उत्पादन विभाग मानव संसाधन विभाग से मजदूरों का ब्यौरा लेता है।यह मजदूरों के द्वारा उत्पादन प्राप्त करने की जानकारी मानव संसाधन विभाग व लेखा-विभाग को भेजता है ताकि उनका पारिश्रमिक देय हो।लेखांकन विभाग द्वारा देय पारिश्रमिक का विवरण उत्पादन विभाग व मानव संसाधन विभाग को दिया जाता है ताकि मजदूरों की कार्यशैली पर नजर रख सकें ।मानव संसाधन विभाग उन मजदूरों की अच्छी व खराब कार्यशैली की जानकारी अन्य विभाग को देता है।

(2) लेखांकन सूचना प्रणाली और विपणन सूचना प्रणाली-संगठन के व्यापार की प्रगति में विपणन व विक्रय विभाग अनेक कार्य सक्रियता का पालन करते हैं, यथा-पूछताछ, संपर्क स्थापना, प्रवेश का क्रम, माल भेजना, उपभोक्ता रसीद आदि।लेखांकन उप-प्रणाली के लेन-देन के कार्यों में विक्रय विवरण, प्रतिष्ठा प्राधिकृत, तालिका सुरक्षा, तालिका स्थान, परिवहन सूचना, प्राप्तांक आदि भी होते हैं।इसके अतिरिक्त उपभोक्ता के खातों पर भी नजर रखी जाती है।उदाहरणार्थ एजिंग प्रतिवेदन, जो कि प्रणाली द्वारा उत्पन्न किया जाना चाहिए।

(3) लेखांकन सूचना प्रणाली और निर्माण सूचना प्रणाली-इसी तरह व्यापार प्रगति में उत्पादन विभाग निम्नलिखित कार्य करता है:

  1. योजना की तैयारी व सूची
  2. वस्तुमाँग की विज्ञप्ति और नौकरीधारक
  3. तालिका सूची
  4. कच्चे माल की खरीद की विज्ञप्ति का आदेश
  5. विक्रेता बीजक को संभालना
  6. विक्रेताओं का भुगतान

लेन-देन उप-प्रणाली लेन-देन वृत्त में खरीद बही, विक्रेता/सप्लायर की अग्रिम, सूची को बढ़ाना, खाते की देनदारी आदि सभी कुछ होती है।ये सभी सूचनायें प्रबंध सूचना प्रणाली संस्था के अन्य विभागों को वितरित करता है।अतः यह निर्णय लेने वाले व्यक्तियों को जरूरी वित्तीय डाटाओं की सूचना देता है जो कि कम्प्यूटरीकृत सूचना प्रणाली का एक उपभाग है।

प्रश्न 3: “एक लेखांकन प्रतिवेदन ऐसा प्रतिवेदन है जो सभी मूल आवश्यकताओं के मापदण्डों को पूर्ण करता है।” इस कथन को स्पष्ट करें।लेखांकन प्रतिवेदन के विभिन्न प्रकारों की सूची बनायें।

उत्तर – लेखांकन प्रतिवेदन (Accounting Report): विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरकर डाटा, सूचना बनते हैं।जब सम्बद्ध सूचना को एक खास जरूरत को पूरा करने के लिए संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है तो वह प्रतिवेदन कहलाता है।प्रतिवेदन का विषय एवं प्रारूप अलग-अलग स्तरों के लिये अलग-अलग होता है।प्रतिवेदन को उपभोक्ता के लिये प्रभावी एवं योग्य होना चाहिए एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया को व्याख्यायित करना चाहिए।लेखांकन प्रतिवेदन में लेखांकन से सम्बन्धित सचनाएँ होती हैं।प्रतिवेदन के अनेक मापदण्ड होते सभी मूल आवश्यकताओं के मापदण्डों को पूरा करता है।अन्य प्रतिवेदन की तरह प्रत्येक लेखांकन

प्रतिवेदन निम्नलिखित शर्तों/मापदण्डों को भी अवश्य पूरा करता है:

  1. प्रासंगिकता
  2. समयबद्धता
  3. परिशुद्धता
  4. पूर्णता
  5. संक्षिप्तता।

लेखांकन प्रतिवेदन के प्रकार-लेखांकन प्रतिवेदन प्रायः लेखांकन सॉफ्टवेयर द्वारा तैयार किया जाता है।फ्टवेयर द्वारा तैयार किया गया लेखांकन प्रतिवेदन या तो दैनिक विवरण की तरह हो सकता है या फिर उपभोक्ता की खास जरूरतों पर आधारित हो सकता है।उदाहरण के लिये, पार्टी के अनुसार बहीखाता एक आम प्रतिवेदन है जबकि किसी पार्टी द्वारा एक खास वस्तु की आपूर्ति पर तैयार किया गया विवरण माँग पर आधारित विवरण है।

एक बड़े परिप्रेक्ष्य के लिहाज से लेखांकन संबंधित प्रबंधन सूचना प्रणाली प्रतिवेदन निम्नलिखित प्रकार के हो सकते:

  1. संक्षिप्त प्रतिवेदन
  2. माँग प्रतिवेदन
  3. ग्राहक/आपूर्तिकर्ता विवरण
  4. अपवाद प्रतिवेदन
  5. उत्तरदायित्व प्रतिवेदन।

प्रश्न4कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंगों (elements) का वर्णन करें तथा कम्प्यूटर प्रणाली व मानवीय प्रणाली की आवश्यक विशेषताओं को स्पष्ट करें।

उत्तर –कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंग/तत्त्व/घटक (Elements of a Computer system) कम्प्यूटर प्रणाली के छः महत्त्वपूर्ण अंग/तत्त्व हैं, जो निम्न प्रकार हैं:

  1. यंत्र सामग्री (Hardware): विद्युत एवं विद्युत यांत्रिकीय स्विचन तंत्र पर आधारित की-बोर्ड, माउस, मॉनीटर एवं प्रोसेसर इत्यादि यंत्र-सामग्री कहलाते हैं।Hardware कम्प्यूटर प्रणाली के मुख्य पात्र माने जाते हैं जिनके बिना कम्प्यूटर प्रणाली की परिकल्पना भी सम्भव नहीं है।
  2. प्रक्रिया सामग्री (Software): कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से तात्पर्य कम्प्यूटर भाषा में लिखे गये उन निर्देशों के समूहों, पत्रावलियों व विधियों से है जिनका उपयोग कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए किया जाता है।सॉफ्टवेयर का विकास कम्प्यूटर भाषाओं में किया जाता है जिससे कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में उपलब्ध निर्देशों का पालन कर सके।

सॉफ्टवेयर निम्न छः प्रकार के होते हैं:

  • प्रचालन प्रणाली (Operating System): ऐसी प्रक्रिया सामग्री है जो यंत्र सामग्री पर सम्पूर्ण नियंत्रण रखती है तथा उसके लिए निर्देश जारी करती है।
  • उपयोगिता क्रमादेश (Utility Programmes): यह पूर्वलिखित प्रोग्राम होते हैं जो ऐसी कार्यशैली प्रदान करते हैं जिसकी आवश्यकता सहयोगी संक्रियाओं को चलाने के लिए होती है।
  • अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री (Application Software): इसके द्वारा उपयोगकर्ता निर्देशों का आवश्यतानुसार तार्किक रूप से क्रमवार संयोजन करके अपने विशिष्ट कार्य कर सकता है।जैसे-वेतन पत्रक निर्माण, वित्तीय लेखांकन इत्यादि।
  • भाषा संसाधक (Language Processor): एक ऐसी प्रक्रिया सामग्री है जो उपयोगकर्ता के दिये गये निर्देशों को कम्प्यूटर की भाषा में परिवर्तित करता है।
  • प्रक्रिया सामग्री प्रणाली (System Software): प्रोग्राम कम्प्यूटर की आन्तरिक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
  • संयोजक प्रक्रिया सामग्री (Connectivity Software): ये प्रोग्राम कम्प्यूटर व सर्वर के बीच सम्बन्ध स्थापित करने एवं नियंत्रित करने का कार्य करते हैं।
  1. उपयोगकर्ता (People): कम्प्यूटर प्रणाली का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को लाइववेयर कहा जाता है।

ये मुख्यतः

  • प्रणाली विश्लेषक,
  • क्रमादेशक एवं
  • प्रचालक होते हैं तथा ये मुख्यतः आदेशों व निर्देशों को देने का कार्य करते हैं तथा उन आदेशों व निर्देशों को महत्त्वपूर्ण सूचनाओं के रूप में प्राप्त करते हैं।
  1. क्रियाविधियाँ (Procedures): क्रियाविधि का अर्थ है ऐच्छिक परिणाम प्राप्त करने के लिये संक्रिया (ऑपरेशन) के क्रम को निश्चित तरीके से चलाना।क्रियाविधि तीन प्रकार की होती हैं जिनमें कम्प्यूटर प्रणाली:
  • यंत्र सामग्री की ओर,
  • प्रक्रिया सामग्री की ओर और
  • आंतरिक क्रियाविधि शामिल हैं।

यंत्र सामग्री की ओर की क्रियाविधि कम्प्यूटर के अंगों एवं उनके परिचालन की विधि का विस्तृत विवरण प्रदान करती है।

प्रक्रिया सामग्री की ओर प्रक्रिया कम्प्यूटर प्रणाली के सॉफ्टवेयर को उपयोग करने के लिए आदेशों का समूह प्रदान करती है।सम्पूर्ण कम्प्यूटर प्रणाली की प्रत्येक उपप्रणाली की संक्रिया को क्रमानुसार चलाना एवं डाटा का कम्प्यूटर की धारा का प्रवाह सुनिश्चित करना आंतरिक क्रियाविधि कहलाता है।

  1. आँकड़े (Data): अंकों व लेख के रूप में प्रस्तुत तथ्य आँकड़े कहलाते हैं जो कि कम्प्यूटर प्रणाली में भण्डारित होते हैं, आवश्यकता पड़ने पर जिन्हें प्रोसेस किया जा सकता है, ये तुलना करने में सहायक होते हैं।
  2. संयुक्तिकरण (Connectivity): इसके द्वारा कम्प्यूटर प्रणाली को सूचनाओं के संग्रहण एवं प्रसार के लिए दूरभाष पथों, उपग्रहों तथा सूक्ष्म तरंग संचरण से जोड़ा जाता है तथा सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर शीघ्रता से भेजा जा सकता है।
  • कम्प्यूटर प्रणाली की आवश्यक विशेषताएँ: कम्प्यूटर प्रणाली की कुछ आवश्यक विशेषताएँ होती हैं, जो इसे मनुष्य से अधिक सामर्थ्यवान बनाती हैं।ये निम्न प्रकार हैं
  • गति (Speed): कम्प्यूटर बहुत तीव्र गति से कार्य करता है।वह एक सेकण्ड में करोड़ों गणनाएँ कर सकता है।यह गति दिन-प्रतिदिन और तीव्र होती जा रही है।
  • परिशुद्धता (Accuracy): कम्प्यूटर पूर्ण शुद्धता से कार्य करता है।यदि कम्प्यूटर चालक उसमें सूचनाएँ सही नहीं भरे तभी कम्प्यूटर द्वारा किये जाने वाले कार्य में कोई अशुद्धि रहने की संभावना होती है।यदि कम्प्यूटर में अशुद्धि हुई है तो वह कम्प्यूटर चालक द्वारा कम्प्यूटर में गलत सूचना भरने के कारण ही हो सकती है।
  • विश्वसनीयता (Reliability): मनुष्य द्वारा उपलब्ध करवाये गये आँकड़ों की तुलना में कम्प्यूटर से उपलब्ध करवाये गये आँकड़े अधिक विश्वसनीय होते हैं।परन्तु कुछ आन्तरिक एवं बाह्य कारणों से यह प्रणाली भी असफल हुई है और भविष्य में भी हो सकती है।
  • बहुआयामी (Versatility): एक ही कम्प्यूटर में विभिन्न प्रकार के कार्य सम्पादित किये जा सकते हैं।एक बार इसमें सूचनाएँ डालने के बाद विभिन्न क्रमादेशों (Programmes) का प्रयोग सांख्यिकी, संचार तथा मनोरंजन में किया जा सकता है।
  • संचयन (Storage): एक कम्प्यूटर में बहुत बड़ी मात्रा में सूचनाओं का संचयन किया जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर इन सूचनाओं को वापस भी प्राप्त किया जा सकता है।इसमें सूचनाएँ चुम्बकीय डिस्क, फ्लॉपी डिस्क आदि पर स्थायी रूप से संग्रहित की जा सकती हैं।

मानवीय प्रणाली की आवश्यक विशेषताएँ-मानवीय प्रणाली की भी कुछ आवश्यक विशेषताएँ होती हैं, जो कम्प्यूटर प्रणाली में नहीं पाई जाती हैं।ये निम्न प्रकार हैं:

  1. व्यावहारिक ज्ञान: मानवीय प्रणाली में व्यावहारिक ज्ञान पाया जाता है।परिस्थिति अनुसार मानव पूर्व निर्धारित निर्णय को बदल सकता है जबकि कम्प्यूटर केवल निर्धारित प्रोग्राम के अनुसार ही कार्य करता है।
  2. उच्च आई.क्यू: मनुष्य का आई.क्यू. स्तर उच्च होता है जबकि कम्प्यूटर एक शून्य आई.क्यू. वाली मूक युक्ति है।मानवीय प्रणाली में विशिष्ट परिस्थिति में एवं आपात परिस्थिति में पुनः सोच-समझकर कार्य किया जा सकता है।
  3. स्वयं निर्णय लेने में सक्षम: मानव जाति में निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता विद्यमान होती है।मनुष्य जानकारी, ज्ञान, बुद्धिमत्ता एवं फैसले लेने की क्षमता के कारण स्वयं निर्णय लेने में सक्षम है जबकि कम्प्यूटर स्वयं कोई निर्णय नहीं ले सकता है।
All Courses View List | Enroll Now
Mock Tests / Quizzes (All Courses) Mock Tests / Quizzes
Student Registration Register Now
Become an InstructorApply Now
Dashboard Click Here
Student Zone Click Here
Our Team Meet Members
Contact Us Get in Touch
About Us Read More
Knowledge Base Click Here
Classes / Batches: Class 6th to 12th, BA, B.Sc, B.Com (All Subjects)
Online & Offline Available
Click Here
Exam Preparation: SSC, Railway, Police, Banking, TET, UPTET, CTET & More Click Here
Shree Narayan Computers & Education Center Home Page

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *