Class 10 गणित अध्याय-5: समांतर श्रेढियाँ UP Board

गणित

अध्याय-5: समांतर श्रेढियाँ

समांतर श्रेढ़ी क्या है

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गणित में समान्तर श्रेढ़ी अथवा समान्तर अनुक्रम का अर्थ है, संख्याओं का एक ऐसाअनुक्रम या श्रेणी है जिसके दो क्रमागत पदो का अन्तर सामान या नियत होता है, उसे समान्तर श्रेढ़ी कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में, संख्याओं की एक ऐसी सूची है जिसमें प्रत्येक पद अपने पद में एक निश्चित संख्या जोड़ने पर प्राप्त होती है, वह समांतर श्रेढ़ी कहलाता हैं।

समान्तर श्रेढ़ी का फार्मूला या सूत्र

सामान्यतः समान्तर श्रेढ़ी को निम्न प्रकार से लिख सकते हैं: a₁, a₂, a₃, a₄, …… aₙएक समान्तर श्रेढ़ी कहलाता है। श्रेढ़ी की प्रत्येक संख्या को पद कहते हैं। जिसमें a₁ को प्रथम पद कहते हैं तथा aₙश्रेढ़ी का n वां पद है।

समान्तर श्रेणी में सार्व अंतर

किसी भी AP में पहले पद से जुड़ने या घटने वाली संख्या को सार्व अंतर कहा जाता है। समान्तर श्रेढ़ी के सार्व अंतर धनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य हो सकता है।

AP के प्रथम पद को a₁, दूसरे पद को a₂, …… nवें पद को aₙतथा सार्व अंतर को d से व्यक्त किया जाता है।

अतः a₂– a₁ = a₃– a₂ = ……. = aₙ– aₙ₋₁ = d होता है।

अर्थात प्रथम पद में d जोड़कर AP प्राप्त किया जा सकता है. जैसे:-

a, a + d, a + 2d, a + 3d, ……… आदि।

समांतर श्रेढ़ी का व्यापक रूप

एक समांतर श्रेढ़ी को निरूपित करती है, जहाँ a पहला पद है और d सार्व अंतर है। इसे समांतर श्रेढ़ी का व्यापक रूप कहते हैं।

कुछ उदाहरणों के माध्यम से समांतर श्रेढ़ी को समझने का प्रयास करते हैं:

उदाहरणार्थ, यदि प्रथम पद a = 6 है और सार्व अंतर d = 3 है तो

6, 9,12, 15, ……… एक समांतर श्रेढ़ी है।

तथा यदि a = 6 है और d = – 3 है तो

6, 3, 0, -3, ……….. एक समांतर श्रेढ़ी है।

समांतर श्रेणी पर अतिरिक्त प्रश्न

प्रत्येक किलो मीटर के बाद का टैक्सी का किराया, जबकि प्रथम किलो मीटर के लिए किराया रु 15 है और प्रत्येक अतिरिक्त किलो मीटर के लिए किराया रु 8 है।

उत्तर:

प्रथम किलो मीटर के लिए किराया रु 15 है यह समांतर श्रेढ़ी का प्रथम पद a₁ है

प्रश्नानुसार प्रत्येक अतिरिक्त किलो मीटर के लिए किराया रु 8 है। तो यह समांतर श्रेढ़ी का d सार्व अंतर है।

इसप्रकार, समांतर श्रेढ़ी

a₁, a₂, a₃, a₄, ……… = a₁, a₁ + d, a₁ + 2d, a₁ + 3d, ………

उपरोक्त श्रेढ़ी में a₁ और d का मान रखने पर प्राप्त होती है:

= 15, 15 + 8, 15 + 2 × 8, 15 + 3 × 8, …………..

= 15, 23, 31, 39, …………..

यह एक समांतर श्रेढ़ी है।

निम्नलिखित समांतर श्रेढ़ी के अगले दो पद लिखिए 4, 10, 16, 22, . . .

a₂– a₁ = 10 – 4 = 6

a₃– a₂ = 16 – 10 = 6

यहाँ d = 6 है

इसलिए इस समांतर श्रेढ़ी के अगले दो पद 22 + 6 = 28 और 28 + 6 = 34 हैं।

प्रत्येक मीटर की खुदाई के बाद, एक कुँआ खोदने में आई लागत, जबकि प्रथम मीटर खुदाई की लागत रु 150 है और बाद में प्रत्येक मीटर खुदाई की लागत रु 50 बढ़ती जाती है।

प्रथम मीटर की खुदाई की लागत रु 150 है।

प्रश्नानुसार प्रत्येक अतिरिक्त मीटर की खुदाई के लिए लागत रु 50 है। तो यह समांतर श्रेढ़ी का d सार्व अंतर है।

इस प्रकार, समांतर श्रेढ़ी

a₁, a₂, a₃, a₄, ……… = a₁, a₁ + d, a₁ + 2d, a₁ + 3d, ………

उपरोक्त श्रेढ़ी में a₁ और d का मान रखने पर प्राप्त होती है:

= 150, 150 + 50, 150 + 2 × 50, 150 + 3 × 50, …………..

= 150, 200, 250, 300, ……….

यह एक समांतर श्रेढ़ी है।

समांतर श्रेढ़ी के प्रकार

समांतर श्रेढ़ी को मुख्यतः दो प्रकार से परिभाषित किया जाता है:

See also Class 9 UP Board Notes पाठ - (ध्वनि) Ncert Based

परिमित समान्तर श्रेढ़ी

एक समान्तर श्रेढ़ी जिसमें संख्याएँ सीमित होती हैं उसे परिमित समान्तर श्रेढ़ी कहते हैं। इस प्रकार की समान्तर श्रेढ़ी में अंतिम पद होता है।

उदाहरण –5, 10, 15, 20, 25, 30 ………………………….100 (अंतिम पद)।

अपरिमित समान्तर श्रेढ़ी

एक समान्तर श्रेढ़ी जिसमें अनंत संख्या में पद होते हैं उसे अपरिमित समान्तर श्रेढ़ी कहा जाता है। इस प्रकार की समान्तर श्रेढ़ी में अंतिम पद नहीं होता है।

उदाहरण:10, 20, 30, 40, 50, 60 …………………………….. एक समांतर श्रेढ़ी है।

समान्तर श्रेढ़ी का N वाँ पद (व्यापक पद)

हमें समान्तर श्रेढ़ी का व्यापक रूप पता हैं जो कि इस तरह लिखा जाता है।

a, a + d, a + 2d, a + 3d, a + 4d, …………….., a + (n – 1) d

यहाँ, पहला पद a है। दूसरा पद ज्ञात करने के लिए पहले पद a में सार्व अंतर d जोड़ते हैं या हम कह सकते हैं कि सार्व अंतर d को (2 – 1) से गुणा कर रहे हैं और फिर पहले पद a में जोड़ रहे हैं।

a₂ = a + d = a + (2 – 1) d

तीसरा पद ज्ञात करने के लिए, उपरोक्त अनुसार हम सार्व अंतर d को (3 – 1) से गुणा कर रहे हैं और पहले पद a में जोड़ रहे हैं।

a₃ = a + 2d = a + (3 – 1) d

इसी तरह, समान्तर श्रेढ़ी का n वाँ पद ज्ञात करने के लिए सार्व अंतर d को (n – 1) से गुणा करेंगे और फिर पहले पद a में जोड़ेंगे जैसा व्यापक रूप में भी लिखा गया है।

aₙ = a + (n – 1) d

यहाँ, aₙ = n वाँ पद या इसको व्यापक पद भी कहते हैं।

यदि किसी समान्तर श्रेढ़ी में m पद हैं, तो aₘइसके अंतिम पद को निरूपित करता है, जिसे कभी-कभी l द्वारा भी व्यक्त किया जाता है।

अभ्यास के लिए प्रश्न

2, 7, 12, ………… का 10वाँ पद ज्ञात कीजिए।

उत्तर:

यहाँ पर a₁ = 2, a₂ = 7

इसलिए, d = a₂– a₁ = 7 – 2 = 5

क्योंकि aₙ = a + (n – 1) d

इसलिए, 10वां पद

a₁₀ = a₁ + (10 – 1) d

= 2 + 9 × 5 = 47

अतः 10वां पद है।

अतिरिक्त प्रश्नों के हल

21, 18, 15, ………… का कौन-सा पद – 81 है? साथ ही क्या इस A. P. का कोई पद शून्य है? सकारण उत्तर दीजिए।

उत्तर:

यहाँ, a = 21, d = 18 – 21 = – 3 और aₙ = – 81 है। हमें n ज्ञात करना है।

चूँकि aₙ = a + (n – 1) d

अतः – 81 = 21 + (n – 1)(- 3)

या – 81 = 24 – 3n

या – 105 = – 3n

अतः n = 35

इसलिए, दी हुई A. P. का 35वाँ पद – 81 है।

आगे, हम यह जानना चाहते हैं कि क्या कोई n ऐसा है कि aₙ = 0 हो। यदि ऐसा कोई n

है तो

21 + (n – 1) (-3) = 0

अर्थात् 3(n – 1) = 21

या n = 8

अतः 8वां पद 0 है।

वह A. P. निर्धारित कीजिए जिसका तीसरा पद 5 और 7वाँ पद 9 है।

हमें प्राप्त है

a₃ = a + (3 – 1) d = a + 2d = 5 (1)

और

a₇ = a + (7 – 1) d = a + 6d = 9 (2)

समीकरणों (1) और (2) के युग्म को हल करने पर, हमें प्राप्त होता है:

a = 3, d = 1

अतः वांछित A. P.: 3, 4, 5, 6, 7, ………. है।

समान्तर श्रेढ़ी के प्रथम N पदों का योग

एक समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों का योग ज्ञात करने के लिए सूत्र बना सकते हैं।

हम समान्तर श्रेढ़ी को पहले पद a और सार्व अंतर d के साथ n पदों के लिए निम्नानुसार लिखते हैं।

a, a + d, a + 2d + ……….. + a + (n – 1) d

समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों के योग को Sₙद्वारा निरूपित किया जाता है, इसलिए हम लिख सकते है:

Sₙ = a + (a + d) + (a + 2d) + ……….. + [a + (n – 2) d] + [a + (n – 1) d] (1)

See also Class 7 Math Exercise 10.1: CBSE Board

उलटे क्रम में सभी पदों को फिर से लिखते है:

Sn = [a + (n – 1) d] + [a + (n – 2) d] + ………. + (a + 2d) + (a + d) + a (2)

अब समीकरण (1) और (2) दोनों को जोड़ने पर,

Sₙ + Sₙ = [a + a + (n – 1) d] + [(a + d) + a + (n – 2) d] +…..+ [a + (n – 2) d + (a + d)] + [a + (n – 1) d + a]

2Sₙ = [2a + (n – 1) d] + [a + d + a + nd – 2d] +…..+ [a + nd – 2d + a + d] + [2a + (n – 1) d]

2Sₙ = [2a + (n – 1)d] + [2a + nd – d] +……………..+ [2a + nd – d] + [2a + (n – 1) d]

2Sₙ = [2a + (n – 1)d] + [2a + (n – 1)d] +……………..+ [2a + (n – 1) d] + [2a + (n – 1) d] {n बार}

2Sₙ = [2a + (n – 1) d]⨯n

Sₙ = [2a + (n – 1) d] ⨯ n/2

Sₙ = n/2[2a + (n – 1) d]

इसलिये, एक समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों का योग Sₙ = n/2[2a + (n – 1) d] है।

दूसरे रूप में Sₙ = n/2[a + aₙ] = n/2[a + l]

ध्यान देनें योग्य बात

परिणाम का यह रूप उस स्थिति में उपयोगी है, जब A. P. के प्रथम और अंतिम पद दिए हों तथा सार्व अंतर नहीं दिया गया हो।

A. P. का nवाँ पद

किसी A. P. का nवाँ पद उसके प्रथम n पदों के योग और प्रथम (n – 1) पदों के योग के अंतर के बराबर है।

अर्थात् aₙ = Sₙ– Sₙ₋₁ है।

समांतर श्रेणी के योग का उदाहरण

8, 3, -2, ……………… के प्रथम 22 पदों का योग ज्ञात कीजिए।

उत्तर:

यहाँ a = 8, d = 3 – 8 = -5 और n = 22 है।

हम जानते हैं कि

Sₙ = n/2[2a + (n – 1) d]

अतः S₂₂ = 22/2[2 × 8 + (22 – 1) (-5)]

= 11(16 – 105) = 11(–89) = – 979

इसलिए, दी हुई A. P. के प्रथम 22 पदों का योग – 979 है।

यदि किसी A. P. के प्रथम 14 पदों का योग 1050 है तथा इसका प्रथम पद 10 है तो 20वाँ पद ज्ञात कीजिए।

यहाँ S₁₄ = 1050, n = 14 और a = 10 हैं

चूँकि Sₙ = n/2[2a + (n – 1) d]

इसलिए, 1050 = 14/2[20 + 13d]

अर्थात् 910 = 91d

अतः d = 10

अतः a₂₀ = [10 + (20 – 1) 10] = 200

अर्थात् 20वाँ पद 200 है।

24, 21, 18, …………. के कितने पद लिए जाएँ, ताकि उनका योग 78 हो?

यहाँ a = 24 तथा d = 21 – 24 = -3 है और Sₙ = 78 है। हमें n ज्ञात करना है।

चूँकि Sₙ = n/2[2a + (n – 1) d]

अतः 78 = n/2[2 × 24 + (n – 1) (-3)] = n/2[51 – 3n]

3n²– 51n + 156 = 0

या n²– 17n + 52 = 0

या (n – 4)(n – 13) = 0

अतः n = 4 और k 13

n के ये दोनों मान संभव हैं और स्वीकार किए जा सकते हैं।

अतः, पदों की वांछित संख्या या तो 4 है या 13 है।

प्रथम N धन पूर्णांकों का योग

इस प्रकार, प्रथम n धन पूर्णांकों का योग का सूत्र

मान लीजिये Sₙ = 1 + 2 + 3 + ……………. +n है

यहाँ a = 1 तथा l = n है

इसलिए Sₙ = n(1 + n) / 2 या Sₙ = n(n + 1) / 2

से प्राप्त किया जाता है

समांतर श्रेढ़ी की उपयोगिता

इसका उपयोग पैटर्न के एक सेट को सामान्य बनाने के लिए किया जाता है, जिसे हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं। भोजन की तैयारी, यात्रा के लिए दूरी, समय और लागत का पता लगाना। कारों, ट्रकों, घरों, स्कूली शिक्षा या अन्य उद्देश्यों के लिए ऋण को समझना। खेल को समझना (खिलाड़ी और टीम के आँकड़े होने के नाते)

जैसा कि हमने पहले चर्चा की, अनुक्रम और श्रृंखला हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हमें किसी स्थिति या घटना के परिणाम की भविष्यवाणी, मूल्यांकन और निगरानी करने में मदद करते हैं और निर्णय लेने में हमारी बहुत मदद करते हैं।

See also Class 9 CBSE Board Chapter Sound

किसी A.P. के तीसरे और सातवें पदों का योग 6 है और उनका गुणनफल 8 है। इस A.P. के प्रथम 16 पदों का योग ज्ञात कीजिए।

माना A.P. का प्रथम पद a₁ है तथा सार्व अंतर d है।

इसकिये a₃ = a₁ + (3 – 1) d = a₁ + 2d

a₇ = a₁ + 6d

प्रश्नानुसार

a₃ + a₇ = a₁ + 2d + a₁ + 6d = 6

या a₁ + 4d = 3 (1)

प्रश्नकी दूसरी शर्त के अनुसार

a₃× a₇ = (a₁ + 2d) × (a₁ + 6d) = 8

या a₁² + 8a₁d + 12d² = 8 (2)

समीकरण 1 को इसप्रकार भी लिख सकते हैं a₁ = 3 – 4d इस मान को समीकरण 2 में रखने पर

(3 – 4d)² + 8(3 – 4d) d + 12d² = 8

या d = ½, -1/2

यह मान समीकरण 1 में रखने पर

a₁ = 1, 5

S₁₆ = ½के लिए प्रथम 16 पदों का योग

S₁₆ = 8[2 + 15 ×½] = 4[4 + 15] = 76

यदि a₁ = 5 और d = -½के लिए प्रथम 16 पदों का योग

S₁₆ = 8[10 + 15 × -½] = 4[20 – 15] = 20

अतः S₁₆ के दो अलग-अलग मान 76, 20 हैं जो a₁ और d के दो अलग मानों के लिए प्राप्त हुए हैं।

किसी स्कूल के विद्यार्थियों को उनके समग्र शैक्षिक प्रदर्शन के लिए 7 नकद पुरस्कार देने के लिए रु 700 की राशि रखी गई है। यदि प्रत्येक पुरस्कार अपने से ठीक पहले पुरस्कार से रु 20 कम है, तो प्रत्येक पुरस्कार का मान ज्ञात कीजिए।

प्रश्न के अनुसार n = 7, d = -20 तथा S₇ = 700, हमें ज्ञात करना है प्रत्येक पुरस्कार की राशि कितनी है।

माना प्रथम पुरस्कार रु a है

इसलिए S₇ = 7/2[2a + (7 – 1) (-20)] = 700

या 2a – 120 = 200

या a = 320/2 = 160

इसलिए प्रथम पुरस्कार रु 160 है। इसप्रकार द्वितीय रु 140, तृतीय रु 120, चतुर्थ रु 100, पंचम रु 80, छठा रु 60 तथा सातवाँ रु 40 है।

उस A.P. के प्रथम 22 पदों का योग ज्ञात कीजिए, जिसमें D = 7 है और 22वाँ पद 149 है।

यहाँ d = 7 और a₂₂ = 149

सूत्र के अनुसार aₙ = a₁ + (n – 1) d

a₂₂ = a₁ + (22 – 1) 7 = 149

या a₁ = 149 – 147 = 2

अब, S₂₂ = 22/2[4 + 21 × 7] = 11 × 151 = 1661

अतः प्रथम 22 पदों का योग 1661 है।

स्मरणीय तथ्य

1. एक समांतर श्रेढ़ी संख्याओं की ऐसी सूची होती है, जिसमें प्रत्येक पद (प्रथम पद के अतिरिक्त) अपने से ठीक पहले पद में एक निश्चित संख्या d जोड़कर प्राप्त होता है। यह निश्चित संख्या d इस समांतर श्रेढ़ी का सार्व अंतर कहलाती है। एक A. P. का व्यापक रूप a, a + d, a + 2d, a + 3d, . . . है।

2. संख्याओं की एक दी हुई सूची A. P. होती है, यदि अंतरों a₂– a₁, a₃– a₂, a₄– a₃, . . ., से एक ही (समान) मान प्राप्त हो, अर्थात् k के विभिन्न मानों के लिए aₖ– aₖ₋₁ एक ही हो।

3. प्रथम पद a और सार्व अंतर d वाली A. P. का nवाँ पद (या व्यापक पद) aₙनिम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होता हैः aₙ = a + (n – 1) d

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