इलेक्ट्रॉनिकल डाटा (Electronical Data)

इलेक्ट्रॉनिकल डाटा (Electronical Data)

इलेक्ट्रॉनिकल डाटा (Electronical Data)

जैसा कि हम जानते हैं, कंप्यूटर मानवीय भाषा में कार्य नहीं करता है। यह न तो मानवीय भाषा के डाटा रीड कर सकता है, और न ही मानवीय भाषा में गणनाएँ कर सकता है। कंप्यूटर डाटा पर गणनाएँ करने, सूचना स्टोर करने तथा आउटपुट संबंधी सभी कार्य करने के लिए एक विशेष करैक्टर कोड का प्रयोग किया जाता है। जिसका वर्णन निम्न प्रकार है।

गणना से संबंधित कार्य करने के लिए डेसिमल नंबर सिस्टम का प्रयोग करते हैं। इसका बेस 10 होता है अर्थात इसमें 10 संख्याएं (0-9) होती है। कंप्यूटर सिस्टम प्रत्येक कार्य को करने के लिए बाइनरी नंबर सिस्टम का प्रयोग करता है। किसका आधार 2 होता है। इसलिए इसमें केवल दो ही संख्याएं (0,1) होती है। इन्हें बिट कहा जाता है। ऑक्टल नंबर सिस्टम में आठ (0-7) संख्याएं होती है इसका आधार 8 होता है। 3 बाइनरी बिट्स का समूह एक डिजिट को प्रदर्शित करता है। हेक्साडेसिमल नंबर सिस्टम का आधार 16 होता है, अर्थात इसमें 16 संख्याएं (0-15) होती है। एक हेक्साडेसिमल डिजिट 4 बाइनरी बिट्स के समूह के बराबर होती है।

बाइनरी कोडिंग स्कीम (Binary Coded Scheme)

बाइनरी कोडिंग स्कीम प्रत्येक कैरेक्टर को बिट्स का एक अलग क्रम प्रदान करती है। इसके लिए दो कोड (ASCII) और (EBCDIC) का उपयोग किया जाता है। हाल ही में विकसित यूनीकोड में 16 बिट्स का प्रयोग किया जाता।

कंप्यूटर में डेटा निरूपित करने के लिए ASCII कोड प्रणाली का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। इसका पूरा नाम (American Standard Code for Information Interchange) है। इसे 8 बिट्स कोड भी कहा जाता है।

EBCDIC का पुरा नाम (Extended Binary Coded Decimal Interchange Code) है। यह पुराना कोड है जो मूल रूप से IBM द्वारा विकसित किया था। यूनिकोड 16 बिट कोड का होता है जो ASCII और EBCDIC दोनों का सहायक है। इसका प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के लिए भी होता है।

यूनिकोड विभिन्न प्रकार की भाषा लिपियों को कंप्यूटर कोड में बदलने की एक Charcter encoding standard प्रणाली है। कंप्यूटर मूल रूप से नंबरों से संबंध रखते हैं।  यह प्रत्येक अक्षर और वर्ण के लिए एक नंबर निर्धारित करके उसे कंप्यूटर में स्टोर करते हैं। यूनिकोड का आविष्कार होने से पहले ऐसे नंबर देने के लिए सैकड़ों विभिन्न संकेत प्रणालियाँ थी। किसी एक संकेत लिपि में पर्याप्त अक्षर नहीं हो सकते। इसके लिए यूनिक कोड प्रणाली विकसित की गई। यूनिकोड प्रत्येक अक्षर के लिए एक विशेष नंबर प्रदान करता है, चाहे कोई भी प्लेटफॉर्म प्रोग्राम या भाषा हो।

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